प्रोफेसर रोडम नरसिम्हा : जिन्होने भारत के रॉकेट कार्यक्रम को सफलता की राह दिखाई
By भाषा | Published: December 15, 2020 07:37 PM2020-12-15T19:37:00+5:302020-12-15T19:37:00+5:30
बेंगलुरु, 15 दिसंबर भारत जब 1980 के दशक के अंत में एएसएलवी मिशन की लगातार दो असफलताओं से जूझ रहा था, ऐसे में प्रोफेसर रोडम नरसिम्हा ने देश के रॉकेट के सफल परीक्षण का रास्ता खोला।
उस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तत्कालीन प्रमुख प्रोफेसर सतीश धवन ने रॉकेट कार्यक्रम की समीक्षा के लिए आंतरिक और बाह्य समितियों का गठन किया। प्रोफेसर नरसिम्हा बाह्य समिति के प्रमुख थे। नरसिम्हा को एयरोडाइनेमिक्स और फ्लूइड मैकेनिक्स का महारथी माना जाता था।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘आज हम पीएसएलवी और जीएसएलवी मैक3 की सफलता की बात करते हैं, इसका श्रेय प्रोफेसर नरसिम्हा समिति से मिली सलाह को जाता है।’’
पद्म विभूषण से सम्मानित, राष्ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशालाएं (एनएएल) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांसड स्टडीज (एनआईएएस) के पूर्व निदेशक नरसिम्हा का एक निजी अस्पताल में सोमवार को निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे।
वैज्ञानिकों, नेताओं ने अंतरिक्ष आयोग के सदस्य के रूप में इंजीनियर-वैज्ञानिक नरसिम्हा द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में दिए गए योगदान को याद किया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि नरसिम्हा ने हर रूप में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का साथ दिया है।
नायर ने पीटीआई-भाषा को कहा, ‘‘वह बेहद खुले विचार के, स्पष्टवादी और हर बात में जमीन से जुड़े व्यक्ति थे। हमें जब भी कोई दिक्कत (अंतरिक्ष संबंधी) आती वह तुरंत हमारे पास (इसरो में) मदद के लिए पहुंच जाते।’’
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय ने एक महान हस्ती को खो दिया। उन्होंने कहा, ‘‘एयरोस्पेस में उनके अग्रणी कार्य और देश की राष्ट्रीय महत्व की वैज्ञानिक संस्थाओं को बेहतर बनाने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को याद रखा जाएगा।’’
कस्तूरीरंगन ने कहा कि एनआईएएस के निदेशक के रूप में प्रोफेसर नरसिम्हा ने संस्थान में बहुत अच्छा शैक्षणिक और पाठ्यक्रमों के बीच तालमेल का वातावरण तैयार किया था।
नरसिम्हा का जन्म 20 जुलाई, 1933 को हुआ और 1962 से 1999 तक वह भारतीय विज्ञान संस्थान में एरोस्पेस इंजिनियरिंग के प्रोफेसर रहे।
उन्हें 2013 में देश का दूसरे शीर्ष सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया।
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