पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल, निरंतर सत्यापन की जरूरत: थल सेना

By भाषा | Published: July 17, 2020 01:27 AM2020-07-17T01:27:35+5:302020-07-17T06:04:46+5:30

सीमा वार्ता के लिये डोभाल और वांग अपने-अपने देश की ओर से नामित विशेष प्रतिनिधि हैं। कोर कमांडर स्तर के चौथे चरण की बैठक पर कर्नल आनंद ने बताया कि सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाने पर पांच जुलाई को भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप बातचीत चल रही है।

process of retreating troops in eastern Ladakh is complex, needs constant verification: Army | पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल, निरंतर सत्यापन की जरूरत: थल सेना

भारतीय थल सेना ने करीब 15 घंटे तक चली बाचतीत में चीनी सेना को यह ‘‘स्पष्ट संदेश’’ दिया है कि पूर्वी लद्दाख में आवश्यक तौर पर पूर्व स्थिति बहाल की जाए

Highlightsविदेश मंत्रालय ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है सैनिकों को पीछे हटाने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी।

नयी दिल्ली: भारतीय थल सेना ने पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने पर भारत और चीन के बीच चौथे चरण की लंबी सैन्य बातचीत के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि दोनों देश अपने-अपने सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिये प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया ‘‘जटिल’’ है, जिसका निरंतर सत्यापन करने की जरूरत है। इस बीच, विदेश मंत्रालय ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यथा स्थिति बदलने की कोई भी ‘‘एकतरफा कोशिश’’ उसे (भारत को) स्वीकार्य नहीं होगी।

ऐसे में जब, भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने की रूपरेखा को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रहे हैं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत की सैन्य तैयारियों का जायजा लेने एवं संपूर्ण स्थिति की समीक्षा करने के लिये शुक्रवार को लद्दाख का दौरा करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय थल सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(पीएलए) के वरिष्ठ कमांडरों ने सैनिकों को पीछे हटाने की जारी प्रक्रिया के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की और ‘‘यथाशीघ्र सैनिकों को पूरी तरह से हटाने’’ को सुनिश्चित करने के लिये आगे के कदमों पर चर्चा की है।

उन्होंने कहा कि एलएसी पर सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया जटिल है, इसलिए बेबुनियाद एवं गलत खबरों से बचने की जरूरत है। हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं कहा। थल सेना ने कहा कि भारत और चीनी सेना के वरिष्ठ कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने के प्रथम चरण के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की तथा क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने को सुनिश्चित करने के लिये आगे के कदमों पर चर्चा की। कोर कमांडरों के बीच चौथे चरण की वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सीमा के अंदर चुशुल में एक निर्धारित बैठक स्थल पर मंगलवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे शुरू हुई और बुधवार तड़के दो बजे तक चली।

इस दौरान सैनिकों को पीछे हटाने की जटिल प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा की गई। इसमें एक निर्धारित समय सीमा के अंदर ‘रियर बेस’ से हजारों सैनिकों को हटाए जाने की प्रक्रिया पर चर्चा भी शामिल हैं। थल सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने एक बयान में कहा, ‘‘वरिष्ठ कमांडरों ने सैनिकों को पीछे हटाने के प्रथम चरण के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की और उन्हें पूर्ण रूप से हटाने को सुनिश्चित करने के लिये आगे के कदमों पर भी चर्चा की। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष पूर्ण रूप से सैनिकों को हटाने के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध बने हुए हैं। यह प्रक्रिया जटिल है और इसके निरंतर सत्यापन की जरूरत है। वे राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर नियमित रूप से बैठकें कर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की जारी प्रक्रिया का लक्ष्य टकराव की स्थिति का हल करना है। उन्होंने कहा, ‘‘ यह वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच बनी सहमति पर आधारित है। ’’

दोनों पक्षों ने कुछ खास जगहों पर नियमित चौकी पर एलएसी में अपनी अपनी ओर तैनाती पर सहमति जतायी है। उन्होंने कहा कि यह वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच सहमति पर आधारित है। दोनों पक्षों की ओर से आपसी सहमति पर आधारित कदम उठाये जायेंगे । उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष पूरी तरह से पीछे हटने के उद्देश्य को लेकर प्रतिबद्ध हैं। भारत और चीन स्थापित कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति को लेकर बातचीत कर रहे हैं और इनके परिणामों को हासिल करने के लिये इसे जारी रखेंगे । ’’

सैनिकों को पीछे हटाने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी। इससे एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच करीब दो घंटे तक टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। उन्होंने इलाके में तनाव घटाने के तौर तरीकों पर चर्चा की थी। सीमा वार्ता के लिये डोभाल और वांग अपने-अपने देश की ओर से नामित विशेष प्रतिनिधि हैं। कोर कमांडर स्तर के चौथे चरण की बैठक पर कर्नल आनंद ने बताया कि सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाने पर पांच जुलाई को भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप बातचीत चल रही है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृतव लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जो लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर हैं जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लियु लिन ने किया, जो दक्षिण शिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं। बातचीत के विवरण की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘15 जून की घटना के बाद परस्पर विश्वास बहाल करने में वक्त लगेगा। इसलिए, तीव्रता से सैनिकों को पीछे हटाने का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाये जाने के लिये सैन्य स्तर पर और अधिक वार्ता करने की जरूरत होगी। ’’

उल्लेखनीय है कि गलवान घाटी में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद पूर्वी लद्दाख में तनाव कई गुना बढ़ गया। चीनी सैनिक भी इसमें हताहत हुए लेकिन चीन ने अभी तक इस बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत लद्दाख में एलएसी से लगे सभी इलाकों में पैनी नजर रखे हुए हें और किसी भी स्थिति से निपटने के लिये उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखी जाएगी।

शुक्रवार को होने वाले रक्षा मंत्री के लद्दाख के दौरे पर उनके साथ थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी होंगे। दोनों देशों की सेनाओं के बीच पांच मई को एलएसी पर गतिरोध शुरू होने के बाद रक्षा मंत्री का लद्दाख का यह पहला दौरा होगा। उल्लेखनीय है कि तीन जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख का औचक दौरा किया था। उन्होंने सैनिकों को संबोधित किया था और भारत-चीन सीमा विवाद से निपटने में देश की दृढ़ता का संकेत दिया था।

सूत्रों ने बताया कि सिंह, जनरल नरवणे, उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी, 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और थल सेना के अन्य अधिकारियों के साथ क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेंगे। बुधवार को डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर, जनरल नरवणे और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समीक्षा की।

सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि भारतीय थल सेना ने करीब 15 घंटे तक चली बाचतीत में चीनी सेना को यह ‘‘स्पष्ट संदेश’’ दिया है कि पूर्वी लद्दाख में आवश्यक तौर पर पूर्व स्थिति बहाल की जाए और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उसे शांति एवं स्थिरता वापस लाने के लिये सीमा प्रबंधन के लिये सहमति वाले सभी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। 

Web Title: process of retreating troops in eastern Ladakh is complex, needs constant verification: Army

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