'सड़क तुम अब आई हो गाँव, जब सारा गाँव शहर जा चुका है'!

By विकास कुमार | Published: January 24, 2019 04:51 PM2019-01-24T16:51:11+5:302019-01-24T18:03:46+5:30

कांग्रेस पार्टी आज एक संगठन के नाते उत्तर प्रदेश में मरणासन हालत में दिखाई पड़ती है. अगर 2 साल पहले से ही प्रियंका गांधी यूपी का पॉलिटिकल असाइनमेंट अपने हांथ में ले लेती तो आज परिस्थितियां कुछ और होती.

Priyanka Gandhi will challenge Modi-Shah in UP will save Rahul Gandhi and teach lesson to SP-BSP | 'सड़क तुम अब आई हो गाँव, जब सारा गाँव शहर जा चुका है'!

'सड़क तुम अब आई हो गाँव, जब सारा गाँव शहर जा चुका है'!

प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया है. और इसके साथ ही पूर्वी यूपी का कमान भी दे दिया गया. प्रियंका को कमान सौंपने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. 'इंदिरा इज बैक' के नारे लग रहे हैं और छोटे से लेकर बड़े नेताओं में यूपी को लेकर दावे बढ़ गए हैं. राहुल गांधी ने भी कहा कि उनकी बहन बहुत कर्मठ हैं और नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए उनकी पार्टी किसी भी फैसले को लेने के लिए तैयार है.

इसका साफ मतलब है कि मायावती और अखिलेश के ठुकराने के बाद राहुल गांधी प्रदेश में अकेले पड़ते हुए दिख रहे थे तो ऐसे में भाई को सहारा देने के लिए प्रियंका गांधी ने राजनीति में उतरने का फैसला लिया होगा. इसके पहले भी वो अमेठी और रायबरेली में अपनी मां और राहुल के समर्थन में रैलियां करती रही हैं. लेकिन इस बार बात अपने पार्टी और भाई के राजनीतिक अस्तित्व की है, तो कठिन फैसला तो लेना ही था. पिछले कुछ समय से मीडिया में ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि प्रियंका यूपी के तमाम सीटों के आंकड़े जुटा रही हैं और हर सीट के राजनीतिक समीकरणों का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है.

इंडिया शाइनिंग को फीका किया राहुल और प्रियंका ने 

बात साल 2004 की है, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा 'इंडियन शाइनिंग' के नारे के साथ लोकसभा चुनाव में पूरे जोश और आत्मविश्वास के साथ उतरने जा रही थी. बीजेपी अपनी जीत को लेकर इस कदर आश्वस्त हो गई थी कि समय से पहले ही चुनाव का एलान कर दिया गया. कांग्रेस की खराब हालत को देखते हुए सोनिया गांधी और उनकी पार्टी ने एक एजेंसी से संपर्क किया. एजेंसी ने उन्हें सुझाव दिया कि आप अटल बिहारी वाजपेयी को आप अकेले कभी नहीं हरा सकती. और उसी साल राहुल गांधी लंदन में अपनी नौकरी छोड़कर वापस आ गए. 

चुनाव में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया और राहुल खुद अमेठी से चुनाव लड़े और जीते. कांग्रेस ने इंडियन शाइनिंग को परास्त किया और केंद्र में सरकार बनाई. राहुल और प्रियंका के राजनीतिक पदार्पण के साथ ही कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई. 

आज वही स्थिति फिर सामने 

प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी का कमान सौंपा गया है. पूर्वांचल बीजेपी के मजबूत नेताओं का गढ़ माना जाता है और खुद पीएम मोदी भी वाराणसी सीट से सांसद हैं जो पूर्वी यूपी का ही हिस्सा है. ऐसे में प्रियंका गांधी के सामने चुनौतियां पहाड़ की तरह हैं. लेकिन कांग्रेस के इस फैसले से एक बात साफ है कि पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश में अपने प्रदर्शन को सुधारने की पूरी कोशिश में लगी हुई है और 2009 को दोहराने की उम्मीद भी लगाये हुई है. 

कठिन है डगर पनघट की 

कांग्रेस पिछले दो दशक से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर है. 2014 के चुनाव में भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी को छोड़कर कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार मोदी लहर के सामने नहीं टिक पाया था. प्रदेश में पार्टी का संगठन बिखर चुका है और जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं का जबरदस्त अभाव है.

लोकसभा चुनाव से ठीक 3 महीने पहले प्रियंका को कमान सौंपना मरणासन हालत में पड़े संगठन में कितना जोश भरेगा यह तो चुनाव के नतीजे ही बतायेंगे लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस ने प्रियंका को कमान सौंपने में देर कर दी है. अगर 2 साल पहले से ही प्रियंका यूपी का असाइनमेंट अपने हांथ में ले लेती तो आज परिस्थितियां दूसरी होती. 

Web Title: Priyanka Gandhi will challenge Modi-Shah in UP will save Rahul Gandhi and teach lesson to SP-BSP

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