प्रियंका गांधी के पूर्वी यूपी के प्रभारी बनने के बाद नरेन्द्र मोदी की राहें मुश्किल हो सकती हैं? अचूक समीकरण बनकर है तैयार
By विकास कुमार | Published: January 23, 2019 01:53 PM2019-01-23T13:53:19+5:302019-01-23T14:43:23+5:30
अतीत में भी ऐसे कई कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि अगर प्रियंका गांधी पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम करें तो पार्टी की स्थिति प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सुधर सकती है. कांग्रेस के नेता प्रियंका में इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं जिनकी राजनीतिक समझ पर पार्टी और संगठन दोनों को भरोसा है.
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले अपना अंतिम दांव खेल दिया है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जिसका इंतजार था वो घड़ी आ गई है. राहुल गांधी की बहन और सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका ने गांधी ने आखिर अपने भाई की मदद के लिए राजनीति में उतरने का एलान कर दिया. सोनिया गांधी की सेहत खराब होने के कारण इस बात की चर्चा पार्टी के नेता भी दबी जुबान में करने लगे थे लेकिन इंतजार था कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक घोषणा का. प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाया है इसके साथ ही पूर्वी यूपी का प्रभार दिया गया है.
प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की जोड़ी
पीएम मोदी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. प्रियंका गांधी का पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान संभालने से बीजेपी के लिए मुश्किलें आ सकती हैं. क्योंकि प्रियंका पिछले कुछ महीनों से लगातार प्रदेश के तमाम सीटों के आंकड़े जुटा रही थीं और सभी राजनीतिक समीकरणों को साधने की कोशिश की जा रही है.
कांग्रेस की रिसर्च टीम सभी सीटों का सर्वे कर रही है और आधुनिक तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है. जिसमें डेटा पॉलिटिक्स भी शामिल है. कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद और राहुल गांधी की अध्यक्षता में डेटा सेल का गठन कर चुकी है और अब तमाम सीटों का मूल्यांकन किया जा रहा है.
क्या प्रियंका लड़ेंगी रायबरेली से चुनाव
अतीत में भी ऐसे कई कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि अगर प्रियंका गांधी पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम करें तो पार्टी की स्थिति प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सुधर सकती है. कांग्रेस के नेता प्रियंका में इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं जिनकी राजनीतिक समझ पर पार्टी और संगठन दोनों को भरोसा है. ऐसे में उनकी सक्रिय राजनीति में आने से पार्टी को उत्तर प्रदेश में जबरदस्त फायदा हो सकता है. पार्टी में आने से कार्यकर्ताओं के उत्साह में जबरदस्त इजाफा हो सकता है.
सबसे बड़ा सवाल है कि अब तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने वाली प्रियंका क्या इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. क्योंकि सोनिया गांधी की खराब होती तबीयत के कारण प्रियंका के चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही है. रायबरेली ने हमेशा ही गांधी परिवार के सदस्य का स्वागत किया है तो और प्रियंका के एक्टिव होने के कारण उनके इस सीट से चुनाव लड़ने की बातें होने लगी हैं.
ब्राह्मण और मुस्लिम वोटों का समीकरण
कांग्रेस ने इस बार यूपी में राजनीतिक समीकरण बनाने की तैयारी की है. ब्राह्मण और मुस्लिम वोट को साधने की तैयारी चल रही है. मुस्लिम वोट मुलायम सिंह यादव के सपा से दूरी बनाने के बाद नए राजनीतिक ठिकाने की तलाश कर रही है, ऐसे में उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प कांग्रेस पार्टी ही दिख रही है. प्रदेश के ब्राह्मण मोदी सरकार से ज्यादा योगी सरकार से नाराज है. योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरवाद के आरोप लग रहे हैं, जिससे ब्राह्मण समुदाय नाराज चल रहा है. तमाम पार्टियों को आजमाने के बाद ब्राह्मण इस बार कांग्रेस का रुख कर सकते हैं.
2009 में कांग्रेस को प्रदेश में 21 लोकसभा की सीटें हासिल हुई थी. सपा को 23 और बसपा को 20 सीटें मिली थी वहीं भाजपा 10 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस इसी तरह के परिणाम की अपेक्षा इस बार भी लगाये हुए है. इसके लिए तमाम नए समीकरणों की तलाश की जा रही है और इसमें मुख्य भूमिका में प्रियंका गांधी ही दिखने वाली हैं. हर बार पर्दे के पीछे से मैनेज करने वाली प्रियंका इस बार फ्रंटफूट पर आकर खेलने जा रही हैं.