प्रधानमंत्री का पैकेज देश के साथ घिनौना मज़ाक, पीएमओ ले रहा है सभी फैसले: सोनिया गांधी
By शीलेष शर्मा | Published: May 22, 2020 06:44 PM2020-05-22T18:44:58+5:302020-05-22T18:44:58+5:30
विश्व स्वास्थ्य संघटन ने 11 मार्च को कॅरोना को महामारी घोषित कर दिया था, समूचे विपक्ष ने सरकार के साथ खड़े रहने की घोषणा की लेकिन यह सरकार सभी की अनदेखी कर केवल और केवल पीएमओ से फैसले करती रही।
नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री का पैकेज एक घिनोना मज़ाक है ,उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि यह सरकार बहरी है जिसको न तो दम तोड़ते मज़दूरों की चीख सुनाई देती है न दुनिया के प्रमुख अर्थशास्त्रियों की सलाह, इस सरकार के पास उन समस्याओं का कोई तोड़ नहीं है जिनसे देश गुज़र रहा है, चाहे वह कॅरोना महामारी की चुनौती हो, आर्थिक संकट हो, प्रवासी मज़दूरों का पलायन या फिर उद्द्योगों और कर्मचारियों का आर्थिक संकट।
यह उन्होंने 22 विपक्षी दलों की वीडियो पर बुलाई बैठक में कही। सभी दलों ने बंगाल और ओडिशा में तूफ़ान से हुयी तबाही पर संवेदना जताते हुये एक स्वर से मांग की कि केंद्र सरकार इस आपदा को तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित करे तथा प्रभावित राज्यों को पुनर्निर्माण के लिये तत्काल आर्थिक मदद उपलब्ध कराये।
सोनिया ने ओडिशा और बंगाल में आये अम्फन तूफ़ान की त्रासदी से अपनी बात शुरू की और जान माल के नुकसान पर चिंता जताते हुये देश की खराब आर्थिक हालत का बिगड़ता चेहरा सामने रखा, उनका मानना था कि नोटबंदी फ़िर गलत ढंग से लागू किये गये जीएसटी ने देश की आर्थिक रीढ़ पहले ही तोड़ दी थी बची हुयी कसर लॉकडॉउन ने पूरी कर दी. एक के बाद एक गलत कदम ने देश की आर्थिक स्थिति को आज उस मुकाम पर खड़ा कर दिया है जहां देश की विकास दर नेगेटिव में दिख रही है।
विश्व स्वास्थ्य संघटन ने 11 मार्च को कॅरोना को महामारी घोषित कर दिया था, समूचे विपक्ष ने सरकार के साथ खड़े रहने की घोषणा की लेकिन यह सरकार सभी की अनदेखी कर केवल और केवल पीएमओ से फैसले करती रही। संघीय ढांचे की व्यबस्था को सरकार ने धता बता दी।
राहुल ने लॉकडॉउन का सवाल उठाया और कहा लॉक डॉउन के दो लक्ष्य हैं बीमारी को रोकना और आने वाली बीमारी से लड़ने की तैयारी करना, पर आज संक्रमण बड़ रहा है और हम लॉकडॉउन खोल रहे हैं, क्या इसका मतलब है कि जो बिना सोच कर लॉक डॉउन लागू किया उसके सही नतीजे नहीं आये. राहुल ने जोर देते हुये 7500 रुपये लोगों के खातों में डालने की वकालत की जिसका सीताराम येचुरी सहित अन्य नेताओं ने समर्थन किया। बैठक में मौजूद सभी नेताओं का मानना था कि देश आर्थिक तबाही की ओर बढ़ रहा है।
बैठक में सोनिया गाँधी के अलावा ए के एंटोनी, राहुल गाँधी, गुलामनवी आज़ाद, अधीर रंजन, मल्लिकार्जुन खड़गे, के सी वेणुगोपाल, अहमद पटेल, एच डी देवगौड़ा, ममता बनर्जी, शरद पवार, डैरिक ओब्रायन, प्रफ्फुल पटेल, थिरु स्टालिन, उद्धव ठाकरे, संजय राऊत, सीताराम येचुरी, हेमंत सोरेन, डी राजा, शरद यादव, उमर अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव, मनोज झा, जयंत चौधरी, पीके कुन्हलिकुट्टी, उपेंद्र कुशवाह, बदूरद्दीन अज़मल, जीतन राम माझी, जेके मणि, एनके प्रेमचंद्रन, राजू शेट्टी, थोल थिरुमावलवन और प्रो कोदंडाराम मौजूद थे। लेकिन मायावती, अखिलेश यादव और केजरीवाल ने बैठक से दूरी बनाये