"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जातिवाद उन्मूलन पर बोलने से पहले पढ़ना चाहिए", मनोज झा ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 25, 2023 04:10 PM2023-10-25T16:10:18+5:302023-10-25T16:18:04+5:30
मनोज झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जातिवाद पर दिये भाषण पर तीखा व्यंग्य करते हुए बुधवार को कहा कि जातिवाद उन्मूलन जैसे गंभीर विषय पर बोलने से पहले पीएम मोदी को कम से कम पढ़कर जाना चाहिए।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जातिवाद पर दिये भाषण पर तीखा व्यंग्य करते हुए बुधवार को कहा कि जातिवाद उन्मूलन जैसे गंभीर विषय पर बोलने से पहले पीएम मोदी को कम से कम पढ़कर जाना चाहिए।
राजद सांसद झा ने न केवल विषय की पढ़ाई को लेकर तंज किया बल्कि साथ में प्रधानमंत्री को सुझाव भी दिया कि अगर वो जातिवाद उन्मूलन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखना चाहते हैं तो कम से कम उन्हें 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' जैसी किताब जरूर पढ़नी चाहिए ताकि वो इस विषय पर बिना भटके हुए बोल सकें।
उन्होंने कहा, "मैं पीएम मोदी से जातिवाद पर कोई भी टिप्पणी करने से पहले अच्छी तरह से शोध करने का आग्रह करता हूं। क्षेत्रवाद और क्षेत्रीय आकांक्षाएं असंतुलित विकास के कारण होती हैं। असंतुलित विकास क्षेत्रीय दलों को जन्म देता है। अगर हम पूछ रहे हैं कि सरकारी निकायों में ओबीसी की ज्यादा भागीदारी क्यों नहीं है तो क्या यह जातिवाद है?"
सांसद झा ने आगे कहा, "मैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देना चाहूंगा कि समाज की भलाई के लिए अनर्गल टिप्पणियों से बचने के लिए वो 'जाति का उन्मूलन' पुस्तक पढ़ें।"
मालूम हो कि साल 1936 में 'जाति का उन्मूलन' बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा 1936 में जात-पात तोड़क मंडल के लिए लिखा अप्रकाशित भाषण है।
दरअसल पीएम मोदी ने मंगलवार को दशहरा के मौके पर कहा कि कुछ लोग देश में जातिवाद और क्षेत्रवाद के जरिए बांटने की साजिश की जा रही है।
पीएम मोदी ने दिल्ली के द्वारका में दशहरे पर आयोजित एक विशाल जनसभा में कहा कि इस उत्सव को उन विचारधाराओं के दहन का भी प्रतीक होना चाहिए, जो भारत के विकास में बाधक हैं।
उन्होंने कहा, "यह केवल रावण के पुतले जलाने और राक्षस पर भगवान राम की जीत तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि देश में हर बुराई पर देशभक्ति की जीत का भी प्रतीक होना चाहिए।"