प्रवीण तोगड़िया का पूरे देश में लोकसभा चुनाव लड़ना भाजपा को कितना नुकसान पहुंचा सकता है?

By विकास कुमार | Published: January 16, 2019 05:25 PM2019-01-16T17:25:38+5:302019-01-16T17:34:21+5:30

बात अगर विचारधारा की है तो नरेन्द्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया दोनों ने एक ही 'स्कूल ऑफ थॉट' से डिग्री प्राप्त किया है. लेकिन राजनीतिक मजबूरियां और महत्वाकांक्षाएं दोनों को समय के साथ विपरीत दिशा में बहा ले गई.

Pravin Togadia will damage BJP and Narendra Modi in Lok Sabha election | प्रवीण तोगड़िया का पूरे देश में लोकसभा चुनाव लड़ना भाजपा को कितना नुकसान पहुंचा सकता है?

प्रवीण तोगड़िया का पूरे देश में लोकसभा चुनाव लड़ना भाजपा को कितना नुकसान पहुंचा सकता है?

जय श्री राम, पूरी ताकत के साथ बोलिये जय श्री राम. कभी जिसके इतना बोलने के साथ ही किसी भी सभा में राम नाम की गंगा बहने लगती थी, जोश से लबालब कार्यकर्ता अयोध्या में राम मंदिर के मॉडल को ही पूरे देश के रामराज्य का मॉडल बताने लगते थे. आज उसी विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) के पूर्व अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष 'प्रवीण तोगड़िया' दोराहे पर खड़े हैं. उन्होंने एलान तो कर दिया है कि वो इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे लेकिन उनके इस फैसले में आत्मविश्वास की भारी कमी झलक रही है. 

राम मंदिर और किसानों के मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने वाले तोगड़िया आज खुद का संगठन स्थापित कर चुके हैं. कुछ जगहों पर उन्हें समर्थन भी मिल रहा है. लेकिन उनके काफिले में जो भीड़ है वो विश्व हिन्दू परिषद और संघ के मिजाज वाला है तो ऐसे में इस भीड़ से तोगड़िया कितनी देर तक उम्मीद कर सकते हैं, ये उन्हें भलीभांति पता होगा. 

तोगड़िया का किसान प्रेम 

प्रवीणतोगड़िया बार-बार राम मंदिर का मुद्दा उठा रहे हैं. अगर बीजेपी ने इस मुद्दे पर कोई पॉजिटिव एक्शन ले लिया तो तोगड़िया का काफिला मुद्दाविहीन हो जायेगा. इसी को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने किसानों के मुद्दे को भी बराबर का सम्मान दिया है और उसके साथ ही नौजवानों की बेकारी. क्योंकि मौजूदा वक्त की राजनीति में किसान और युवा का होर्डिंग उठाये बिना लक्ष्य को भेदना तो दूर उसके पास पहुंचना भी नामुमकिन है. 

नरेन्द्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया आज दो विपरीत धाराएं 

कभी मोदी और तोगड़िया की प्रगाढ़ दोस्ती का कोई दूसरा उदाहरण जल्दी मिलता नहीं था. संघ के विचारों को दोनों ने गुजरात के हर कोने तक पहुंचाया. नरेंद्र मोदी के बीजेपी में जाने के बाद  भी इनके संबंध बने रहे. 

जब अपने राज्य से ही मोदी को राजनीतिक वनवास दे दिया गया तो गुजरात में वो प्रवीण तोगड़िया ही थे जिन्होंने मोदी की वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपने स्तर पर उनका भरपूर सहयोग किया. कभी गुजरात की भाजपा सरकार में बड़े स्तर पर दखल रखने वाले तोगड़िया को गुजरात दंगे के बाद नरेन्द्र मोदी ने धीरे-धीरे उन्हें ठिकाना लगाना शुरू कर दिया था और एक समय ऐसा आया जब नरेन्द्र मोदी की विशाल छवि के सामने प्रवीण तोगड़िया विलुप्त हो गए. 

बात अगर विचारधारा की है तो नरेन्द्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया दोनों ने एक ही 'स्कूल ऑफ थॉट' से डिग्री प्राप्त किया है. लेकिन राजनीतिक मजबूरियां और महत्वाकांक्षाएं दोनों को समय के साथ विपरीत दिशा में बहा ले गई. लेकिन इतना तय है कि अगर प्रवीण तोगड़िया ने लोकसभा का चुनाव लड़ा तो यह बीजेपी और नरेन्द्र मोदी के लिए शुभ संकेत नहीं होंगे, क्योंकि ऐसे में हिन्दू वोटों का बंटवारा हो सकता है. भाजपा को उत्तर प्रदेश में नुकसान उठाना पड़ सकता है. 


 

Web Title: Pravin Togadia will damage BJP and Narendra Modi in Lok Sabha election