प्रशांत भूषण का मामला गंभीर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जवाब और अपमानजनक, 10 सितंबर को सजा पर सुनवाई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 25, 2020 03:09 PM2020-08-25T15:09:45+5:302020-08-25T16:06:18+5:30
पीठ ने कहा कि जब भूषण को लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें इसे न दोहराने की सलाह देने का क्या मतलब है। इसने कहा, “एक व्यक्ति को गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया लेकिन उन्होंने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे।”
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रशांत भूषण ने जो जवाब दिया है वह तो और अपमानजनक है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सजा की सुनवाई 10 सितंबर तक टाल दी है।
सीजेआई एसए बोबडे के खिलाफ ट्वीट्स को लेकर प्रशांत भूषण अवमानना केस में आज सुनवाई हुई। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने सजा नहीं देने की मांग की। इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण का ट्वीट अनुचित था। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
उच्चतम न्यायालय ने भूषण के माफी मांगने से इनकार करने पर कहा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है। राजीव धवन ने कहा कि न सिर्फ भूषण से संबंधित अवमानना के मामले को बंद किया जाए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय की ओर से ‘स्टेट्समैन’ जैसा संदेश दिया जाना चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि प्रशांत भूषण को दोषी करार देने वाले फैसले को वापस लिया जाना चाहिए, उन्हें किसी प्रकार की सजा नहीं दी जानी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने प्रशांत भूषण के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से अवमानना मामले में सजा को लेकर विचार मांगे है। राजीव धवन ने न्यायालय में कहा कि भूषण को शहीद न बनाएं, उन्होंने कोई कत्ल या चोरी नहीं की है। एजी ने सुझाव दिया कि प्रशांत भूषण को दंड दिया जाए, लेकिन यह काफी ज्यादा होगा।
पीठ ने कहा कि जब भूषण को लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें इसे न दोहराने की सलाह देने का क्या मतलब है। इसने कहा, “एक व्यक्ति को गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया लेकिन उन्होंने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे।”
Supreme Court reserves its judgement in the 2020 suo motu criminal contempt case against lawyer Prashant Bhushan. https://t.co/dI3qiHJ6Od
— ANI (@ANI) August 25, 2020
उच्चतम न्यायालय ने अवमानना के दोषी अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके ट्वीट को लेकर खेद नहीं जताने के अपने रुख पर “फिर से विचार” करने के लिए मंगलवार को 30 मिनट का समय दिया। शीर्ष अदालत ने भूषण को एक और मौका दिया जब अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उनके लिए माफी का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जब भूषण के ‘अवहेलना’ वाले बयान पर उनके विचार पूछे जाने पर शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा, “उन्हें (भूषण को) सभी बयान वापस लेने चाहिए और खेद प्रकट करना चाहिए।” प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ किए गए उनके दो ट्वीट पर शीर्ष अदालत में माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्होंने जो कहा वह उनका वास्तविक विश्वास है, जिसपर वह कायम हैं। पीठ ने पूछा, “भूषण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय चरमरा गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है।”
पीठ ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेशों के जरिए बोलती है और अपने हलफनामे में भी, भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अदालत को उन्हें चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए।
पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि जब भूषण को लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें इसे न दोहराने की सलाह देने का क्या मतलब है। इसने कहा, “एक व्यक्ति को गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया लेकिन उन्होंने कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे।”
पीठ भूषण के विचार दोबारा जानने के लिए फिर से बैठेगी। शीर्ष अदालत ने 20 अगस्त को, भूषण को माफी मांगने से इनकार करने के उनके “अपमानजनक बयान” पर फिर से विचार करने और न्यायपालिका के खिलाफ उनके अवामाननाकारी ट्वीट के लिए “बिना शर्त माफी मांगने” के लिए 24 अगस्त का समय दिया था तथा उनकी इस दलील को अस्वीकार कर दिया था कि सजा की अवधि अन्य पीठ द्वारा तय की जाए।