पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच CBI करेगी, कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला, एसआईटी का भी गठन
By भाषा | Published: August 19, 2021 12:25 PM2021-08-19T12:25:54+5:302021-08-19T13:24:21+5:30
कलकत्ता हाई कोर्ट ने चुनाव के नतीजों के बाद रेप और हत्या जैसे मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। 5 जजों की बेंच ने ये निर्देश दिए।
कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद कथित हिंसा के मामले में हत्या एवं बलात्कार जैसे गंभीर मामलों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद कथित हिंसा के संबंध में अन्य आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का भी आदेश दिया।
पीठ ने कहा कि दोनों जांच अदालत की निगरानी में की जाएंगी। उसने केंद्रीय एजेंसी से आगामी छह सप्ताह में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा। एसआईटी में महानिदेशक (दूरसंचार) सुमन बाला साहू, कोलकाता पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार जैसे आईपीएस अधिकारी होंगे।
वहीं, हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, 'लोकतंत्र में सभी के पास अपनी विचारधारा फैलाने का अधिकार होता है लेकिन किसी को हिंसा फैलाने का हक नहीं है। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।'
We welcome the court's decision. In a democracy, everyone has the right to spread their ideology but no one's allowed to spread violence. There is no place for violence in democracy: Union Min Anurag Thakur on Calcutta HC ordering court-monitored CBI probe into post-poll violence pic.twitter.com/JkZV3xpE0w
— ANI (@ANI) August 19, 2021
इससे पहले हाई कोर्ट की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) अध्यक्ष को 'चुनाव के बाद की हिंसा' के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था।
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराया था और उसने बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी।
रिपोर्ट में कहा गया था कि मामलों की सुनवाई राज्य के बाहर की जानी चाहिए। एनएचआरसी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य मामलों की जांच अदालत की निगरानी वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा की जानी चाहिए और न्यायिक निर्णय के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट, विशेष लोक अभियोजक और गवाह सुरक्षा योजना होनी चाहिए। बताते चलें कि मामले में 3 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी और हाई कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।