1984 दंगे में सिख यात्रियों को ट्रेनों से निकालकर पीटा गया, पुलिस ने किसी को नहीं पकड़ा: SIT रिपोर्ट

By भाषा | Published: January 16, 2020 10:07 AM2020-01-16T10:07:06+5:302020-01-16T10:07:06+5:30

दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस एन ढींगरा की अध्यक्षता वाली एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रेन में सफर कर रहे सिख यात्रियों की ट्रेन और रेलवे स्टेशनों पर हमला करने वाले लोगों द्वारा हत्या किये जाने के पांच मामले थे।

Police were mere spectators during 1984 anti-Sikh riots: SIT report | 1984 दंगे में सिख यात्रियों को ट्रेनों से निकालकर पीटा गया, पुलिस ने किसी को नहीं पकड़ा: SIT रिपोर्ट

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsरिपोर्ट में कहा गया कि यह घटनाएं एक और दो नवंबर 1984 को दिल्ली के पांच रेलवे स्टेशनों- नांगलोई, किशनगंज, दयाबस्ती, शाहदरा और तुगलकाबाद में हुई।रिपोर्ट में कहा गया, “इन सभी पांच मामलों में पुलिस को दंगाइयों द्वारा ट्रेन को रोके जाने तथा सिख यात्रियों को निशाना बनाए जाने के बारे में सूचना दी गई।''

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान सिख यात्रियों को दिल्ली में रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों से बाहर निकालकर मारा गया लेकिन पुलिस ने किसी को भी मौके से यह कहते हुए नहीं बचाया कि उनकी संख्या बेहद कम थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस एन ढींगरा की अध्यक्षता वाली एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रेन में सफर कर रहे सिख यात्रियों की ट्रेन और रेलवे स्टेशनों पर हमला करने वाले लोगों द्वारा हत्या किये जाने के पांच मामले थे। एसआईटी ने कुल 186 मामलों की जांच की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यह घटनाएं एक और दो नवंबर 1984 को दिल्ली के पांच रेलवे स्टेशनों- नांगलोई, किशनगंज, दयाबस्ती, शाहदरा और तुगलकाबाद में हुई।

रिपोर्ट में कहा गया, “इन सभी पांच मामलों में पुलिस को दंगाइयों द्वारा ट्रेन को रोके जाने तथा सिख यात्रियों को निशाना बनाए जाने के बारे में सूचना दी गई। सिख यात्रियों को ट्रेन से बाहर निकालकर पीटा गया और जला दिया गया। शव प्लेटफॉर्म और रेलवे लाइन पर बिखरे पड़े थे।”

इसमें कहा गया, “पुलिस ने किसी भी दंगाई को मौके से गिरफ्तार नहीं किया। किसी को गिरफ्तार नहीं करने के पीछे जो कारण दर्शाया गया वह यह था कि पुलिसकर्मियों की संख्या बेहद कम थी और दंगाई पुलिस को देखकर भाग खड़े हुए।” इसमें कहा गया कि फाइलों को देखने से खुलासा हुआ कि पुलिस ने घटनावार या अपराधवार एफआईआर दर्ज नहीं की और इसके बजाए कई शिकायतों को एक एफआईआर में मिला दिया गया। इसमें कहा गया कि ऐसी ही एक प्राथमिकी में 498 घटनाओं को शामिल किया गया था और इनकी जांच के लिये सिर्फ एक अधिकारी को नियुक्त किया गया था। 

Web Title: Police were mere spectators during 1984 anti-Sikh riots: SIT report

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