CBI चीफ आलोक वर्मा को हटाने के पक्ष में नहीं थे मल्लिकार्जुन खड़गे, जानें इस बड़ी खबर से जुड़ी 10 अहम बातें
By पल्लवी कुमारी | Published: January 11, 2019 01:54 AM2019-01-11T01:54:26+5:302019-01-11T12:45:40+5:30
CBI Vs CBI:आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया गया है। आलोक वर्मा का दो वर्षों का निर्धारित कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला है और वह उसी दिन सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने 10 जनवरी के मैराथन बैठक के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया। उन्हें भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों में पद से हटाया गया। अधिकारियों ने बताया कि वर्मा का दो वर्षों का निर्धारित कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला है और वह उसी दिन सेवानिवृत्त होने वाले हैं। सीबीआई के 55 वर्षों के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले जांच एजेंसी के वह पहले प्रमुख हैं।
बता दें कि बैठक में पीएम मोदी लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया। इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गए हैं।
आइए जानते हैं इस बड़ी खबर से जुड़ी 10 महत्वपुर्ण बातें
1- सीबीआई चीफ के पद से हटाने के बाद आलोक वर्मा को दी गई इसकी जिम्मेदारी
खबरों के मुताबिक सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा को फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड का महानिदेशक बनाया गया है। जी हां, खबरों के मुताबिक आलोक वर्मा को अब ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। हांलाकि इससे पहले खबर थी कि आलोक वर्मा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पोस्टिंग दी जा सकती है। आलको वर्मा 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं।
2- किसे बनाया गया आलोक वर्मा की जगह सीबीआई चीफ
अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को नए निदेशक की नियुक्ति तक सीबीआई प्रमुख का पद दिया गया है। 11 सप्ताह में यह दूसरी बार हुआ कि सीबीआई का प्रभार राव को दिया गया। पहली बार उन्हें प्रभार तब दिया गया था जब वर्मा से उनके अधिकार वापस ले लिये गए थे और उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था। हालांकि इस आदेश को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया।
3- क्यों हटाया गया आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ के पद से?
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा उसकी जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों के कारण आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटना पड़ा। जांच एजेंसी के 50 साल से अधिक के इतिहास में यह अपनी तरीके का पहला मामला है। सीवीसी की जांच रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ द्वारा की गई ‘टेलीफोन निगरानी’ का हवाला दिया गया। अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत उच्चशक्ति प्राप्त समिति ने सीवीसी रिपोर्ट पर विचार किया। इस रिपोर्ट में वर्मा पर आठ आरोप लगाए गए। वर्मा को उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बहाल किया था।
4- क्या कुछ लिखा है केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) रिपोर्ट में
- सीवीसी की जांच रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ द्वारा की गई ‘टेलीफोन निगरानी’ का हवाला दिया गया।
- सीवीसी रिपोर्ट में विवादित मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले का जिक्र किया गया और दावा किया गया कि इस मामले पर गौर कर रही सीबीआई टीम हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना को इस मामले में आरोपी बनाना चाहती थी लेकिन वर्मा ने मंजूरी नहीं दी।
- सीवीसी ने इस मामले में विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। सीवीसी ने यह भी आरोप लगाया था कि वर्मा ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालू प्रसाद से जुड़े आईआरसीटीसी मामले के एक अधिकारी को बचाने का प्रयास भी किया था।आयेाग ने यह भी आरोप लगाया कि वर्मा सीबीआई में दागी अधिकारियों को लाने की कोशिश कर रहे हैं।
- एक अन्य मामला सीबीआई द्वारा गुड़गांव में भूमि अधिग्रहण के बारे में दर्ज शुरुआती जांच से संबंधित है। सीवीसी ने आरोप लगाया कि इस मामले में वर्मा का नाम सामने आया था।
5- विपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने समिति में आलोक वर्मा को लेकर पूछे ये सवाल
समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के सीकरी भी शामिल थे। वर्मा को पद से हटाने का फैसला बहुमत से किया गया। खड़गे ने इस कदम का विरोध किया।
बैठक तकरीबन दो घंटे तक चली। खड़गे ने सीवीसी द्वारा वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देने की पुरजोर वकालत की। हालांकि, प्रधानमंत्री और न्यायमूर्ति सीकरी ने इससे सहमति नहीं जताई और एजेंसी से उन्हें बाहर करने का रास्ता साफ कर दिया।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए खड़गे ने कहा, ‘‘आलोक वर्मा को उनका पक्ष रखने का मौका दिये बिना पद से हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने एकबार फिर दिखा दिया है कि वह जांच--चाहे वह स्वतंत्र सीबीआई निदेशक से हो या संसद या जेपीसी के जरिये-- को लेकर काफी भयभीत हैं।’’
6- कांग्रेस ने पूरे मामले पर क्या कहा?
आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राफेल मामले का डर प्रधानमंत्री के दिमाग में घूम रहा है जिस वजह से वह सो भी नहीं सकते।
गांधी ने ट्वीट करके कहा, 'मोदी जी, के दिमाग में डर घूम रहा है। वह सो नहीं सकते। उन्होंने वायुसेना से 30 हजार करोड़ रुपये की चोरी की और अनिल अंबानी को दिए।' उन्होंने कहा, 'सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को दो बार हटाना स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री अब अपने ही झूठ से घिर चुके हैं। सत्यमेव जयते।' गौरतलब है कि राफेल मामले को लेकर गांधी प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के साथ अनिल अंबानी पर भी आरोप लगाते हैं। अंबानी समूह उनके आरोपों को पहले ही खारिज कर चुका है।
उधर, सीबीआई निदेशक को हटाए जाने के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वर्मा को हटाने के इस कदम से फिर साबित हो गया है कि मोदी राफेल मामले की जांच से डरे हुए हैं।
7- बीजेपी का क्या है पक्ष
भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को उनके पद से हटाये जाने को लेकर कांग्रेस द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार पर किये गये हमले पर पलटवार करते हुए भाजपा ने बृहस्पतिवार को कहा कि आपसी लड़ाई में टांग अड़ाकर इस केंद्रीय एजेंसी को पंगु बना देने के अपने मकसद में नाकाम रहने के बाद विपक्षी दल अब हायतौबा मचा रहा है।
भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा, ‘‘हारने के बाद कांग्रेस हायतौबा मचा रही है। वह आपसी लड़ाई में टांग अड़ाकर सीबीआई को पंगु बनाने में विफल रहने के बाद अब मातम मना रही है। लंबित रह गयी एक मात्र जांच ‘एक परिवार’ की है जिसे विभिन्न रक्षा सौदों में ‘मामा क्रिश्चयन मिशेल’ से रिश्वत मिली। राहुल गांधी का झूठ पूरी तरह बेनकाब हो गया है।’’
8- आलोक वर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को क्या किया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस शर्त के साथ सीबीआई निदेशक पद पर आलोक वर्मा की बहाली कर दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति एक हफ्ते में उनके पद पर बने रहने के बारे में निर्णय लेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- आलोक वर्मा के खिलाफ कोई भी आगे का फैसला उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति करेगी जो सीबीआई निदेशक का चयन करती है और उनकी नियुक्ति करती है।
9- 77 दिन बाद ड्यूटी पर लौटते ही CBI चीफ आलोक वर्मा ने लिया था बड़ा फैसला
- जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद बुधवार को अपनी ड्यूटी पर लौटे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने तत्कालीन निदेशक (प्रभारी) एम नागेश्वर द्वारा किये गये लगभग सारे तबादले रद्द कर दिए थे।
10- क्यों भेजे गए थे आलोक वर्मा छुट्टी पर और क्या है पूरा CBI VS CBI विवाद
आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच तकरार शुरु होने के बाद मोदी सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिये थे। उसके बाद 1986 बैच के ओड़िशा काडर के आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव को 23 अक्टूबर, 2018 को देर रात को सीबीआई निदेशक के दायित्व और कार्य सौंपे गये थे।
केन्द्र सरकार ने इसके लिए तर्क दिया था कि ये दोनों अधिकारी अपने ही ऊपर लगे केस की जांच नहीं कर सकते हैं। इसके बाद सीबीआई के नंबर एक अधिकारी के रूप में नागेश्वर राव को नया अंतरिम निदेशक बनाया था।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा की अर्जी पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया था। इसकी पहली सुनवाई 26 अक्टूबर को हुई। वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस ले लिए जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी थी।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)