लालकिले की प्राचीर से साल में दूसरी बार ध्वाजारोहण, पीएम मोदी ने की नई परंपरा की शुरुआत
By आदित्य द्विवेदी | Published: October 21, 2018 09:56 AM2018-10-21T09:56:18+5:302018-10-21T10:11:32+5:30
Azad Hind Government 75th anniversary: स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को सम्मान देने के लिए आजाद हिंद सरकार की 75 वर्षगाठ पर विशेष आयोजन।
आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगाठ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया। स्वतंत्रता दिवस के अलावा यह साल दूसरा मौका पर जब लालकिले से प्रधानमंत्री ने तिरंगा लहराया हो। इस मौके पर कैबिनेट के कई मंत्रियों और गणमान्य लोगों के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजन भी उपस्थित रहे। बता दें कि केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सम्मान देने के लिए 21 अक्टूबर को विशेष आयोजन किया है। इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की वीरता को याद किया।
पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातेंः-
- आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था।
- आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया। मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया
- पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी ने 75 साल पहले लालकिले से बीटिंग रिट्रीट का सपना देखा था। उनके मन में गुलाम भारत के प्रति काफी दुख था।
- आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती।
- ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया।
- देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी।
- आज़ादी के लिए जो समर्पित हुए वो उनका सौभाग्य था, हम जैसे लोग जिन्हें ये अवसर नहीं मिला, हमारे पास देश के लिए जीने का, विकास के लिए समर्पित होने का मौका है।
LIVE : PM Shri @narendramodi attends Commemoration of 75th Anniversary of Azad Hind Government. https://t.co/R1UN5Rg9Sc
— BJP (@BJP4India) October 21, 2018
क्यों खास है आज का दिन
सुभाष चंद्र बोस को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी मां भारती के एक सच्चे सपूत का दर्जा हासिल है। उन्होंने 1943 में 21 अक्टूबर के दिन आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में स्वतंत्र भारत की प्रांतीय सरकार बनाई। 23 जनवरी 1897 को जन्मे सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि अंग्रेजों के मजबूत शासन को केवल सशस्त्र विद्रोह के जरिए ही चुनौती दी जा सकती है।
1921 में प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर देश की आजादी की लड़ाई में उतरे सुभाष चंद्र बोस को उनके उग्र विचारों के कारण देश के युवा वर्ग का व्यापक समर्थन मिला और उन्होंने आजाद हिंद फौज में भर्ती होने वाले नौजवानों को ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’’ का ओजपूर्ण नारा दिया।