Krishna Pankhi: पीएम मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री को दिया 'कृष्ण पंखी' का नायाब तोहफा, जानें किस मामलें में खास है यह गिफ्ट
By आजाद खान | Published: March 20, 2022 07:07 AM2022-03-20T07:07:25+5:302022-03-20T08:30:22+5:30
जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को पीएम मोदी द्वारा दिया गया गिफ्ट बहुत ही खास है। इसे चंदन की लकड़ी से बनाया गया है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारत की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को 'कृष्ण पंखी' उपहार में दिया है। ये चंदन की लकड़ी से बना है और इसके किनारों पर कलात्मक आकृतियों के माध्यम से भगवान कृष्ण की विभिन्न मुद्राओं को दर्शाया गया है। आपको बता दें कि जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शनिवार को संक्षिप्त यात्रा पर भारत पहुंचे है।
प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शनिवार को अपराह्न लगभग 3:40 बजे नई दिल्ली पहुंचे थे। भारत-जापान के बीच पिछली वार्षिक शिखर बैठक अक्टूबर 2018 में तोक्यो में हुई थी। मोदी और किशिदा की शिखर वार्ता में प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा यूक्रेन के ताजा हालात का मामला भी छाए रहने की संभावना है।
क्या खूबी है इस 'कृष्ण पंखी' की
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 'पंखी' को पारंपरिक उपकरणों के जरिए उकेरा गया है और इसके शीर्ष पर हाथ से नक्काशी कर तैयार की गई मोर की आकृति है जोकि भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। इस 'कृष्ण पंखी' का निर्माण राजस्थान के चुरु में कुशल कारीगरों द्वारा किया गया है। यह कलाकृति शुद्ध चंदन की लकड़ी से बनी है जोकि मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी भागों के जंगलों में मिलती है।
#PMModi gifted a "Krishna Pankhi" made out of #Sandalwood to #Japan PM #FumioKishidapic.twitter.com/qKQaj4cpaR
— Gurmeet Singh, IIS (@Gurmeet_Singh33) March 19, 2022
स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी के विस्तार पर दोनों देश हुए तैयार
भारत और जापान ने नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए शनिवार को स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी का विस्तार करने पर सहमति जताई है। इसके तहत ई-वाहनों, बैटरी भंडारण और हरित हाइड्रोजन पर जोर दिया जाएगा। चौदहवें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के तहत जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई वार्ता के बाद भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी पर एक बयान जारी किया गया।
क्या कहा गया है साझेदारी वाले बयान में
साझेदारी के बयान में कहा गया है, ''भारत और जापान स्थायी आर्थिक विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के मकसद से ऊर्जा की एक सुरक्षित व स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने के सिलसिले में विभिन्न विकल्पों का पता लगाने की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं। वे इस विचार को साझा करते हैं कि निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का कोई एक मार्ग नहीं है, बल्कि प्रत्येक देश के लिए अलग-अलग रास्ते हैं।'' भारत जहां वर्ष 2070 तक नेट जीरो-कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य बना रहा है, वहीं जापान 2050 तक यह लक्ष्य हासिल करना चाहता है।