PM cares fund: ढाई वर्ष की बच्ची और 7 साल के बच्चे ने ‘पिग्गी बैंक’ तोड़ा, कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए दिए पैसे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 1, 2020 06:03 PM2020-04-01T18:03:08+5:302020-04-01T18:08:43+5:30
स्थानीय निवासी जोमुआपुईया ने बताया किकोलासिब के वेंग्लाई इलाके के रहने वाले रोमेल लालमुआसांगा ने ग्राम स्तरीय कार्यबल को 333 रुपए दान दिए हैं। उन्होंने बताया कि उसने एक प्लास्टिक का डिब्बा कार्यबल को दिया जिसमें 333 रुपये के सिक्के और नोट थे।
आइजोल/पुडुचेरी/नीमचःमिजोरम के कोलासिब कस्बे के सात साल के एक बच्चे के अपना ‘पिग्गी बैंक’ तोड़ उसमें जमा सारी रकम कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए दान करने की दिल को छू लेने वाली एक घटना सामने आई है।
स्थानीय निवासी जोमुआपुईया ने बताया किकोलासिब के वेंग्लाई इलाके के रहने वाले रोमेल लालमुआसांगा ने ग्राम स्तरीय कार्यबल को 333 रुपए दान दिए हैं। उन्होंने बताया कि उसने एक प्लास्टिक का डिब्बा कार्यबल को दिया जिसमें 333 रुपये के सिक्के और नोट थे। मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथंगा सहित कई लोगों ने उसकी सराहना की है। मुख्यमंत्री ने उसे ‘‘हीरो’’ बताते हुए उसकी सराहना की और उसे शुभकामनाएं भी दी।
देश भर में कोविड-19 के प्रकोप ने कई अतंर्निहित मानवीय गुणों और संक्रमण से प्रभावित लोगों की चिंता को सामने ला दिया है। पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के विल्लुपुरम में ढाई साल की एक बच्ची स्पूर्ति, अपने माता-पिता एसजे रघुनाथन और शालिनी के साथ घातक कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री के हालिया संबोधन को सुन रही थी। उसके पिता एक ऑडिटर हैं, जबकि माता एक गृहिणी हैं।
This tiny bundle contains Rs. 333/- in cash and coins;
— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) March 31, 2020
7-year-old Rommel Lalmuansanga from Kolasib Venglai donated his entire savings to his Village Level Task Forces in this war against the dreaded Covid-19 pandemic
May the good Lord bless you abundantly
You are a Hero!#Heropic.twitter.com/YfGbG9CHDI
अपनी बचत प्रधानमंत्री कोष में दान देने की तत्काल घोषणा की
बच्ची वायरस के प्रसार के कारण उत्पन्न मौजूदा स्थिति से इतना विचलित हुई कि उसने अपनी बचत प्रधानमंत्री कोष में दान देने की तत्काल घोषणा की। लड़की की बात सुनकर आश्चर्यचकित उसके पिता ने उससे पूछा कि वह योगदान कैसे करेगी।
एक प्ले स्कूल में पढ़ने वाली स्पूर्ति तुरंत बिना किसी हिचकिचाहट के बोली उसने पैसे बचाकर अपने छोटे से ‘हुंडी’ (एक मिट्टी का गुल्लक) में जमा करके रखा हुआ है, जिसे वह दान करेगी। उसने पिता से ‘हुंडी’ तोड़ने की अनुमति ली और गुल्लक को तोड़ा गया, फिर उसके माता-पिता ने नन्ही बच्ची द्वारा बचाई गई राशि की गिनती की, जो लगभग 4,400 रुपये निकली।
बच्ची को लगा कि राशि को समान रूप से विभाजित किया जाना चाहिए, फिर उसके बाद उसने इसे प्रधानमंत्री और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी के राहत कोष में योगदान दिया। रघुनाथन ने रविवार को बताया कि लड़की ने बिना किसी हिचकिचाहट के घोषणा की कि राज्य में और राष्ट्रीय स्तर पर राहत कार्यों में पैसे का योगदान करना चाहिए।
बच्ची जब एक वर्ष की थी, तब से ही वह बचत करने लगी थी और वह उसे हमेशा कुछ पैसे देते रहते थे। माता-पिता ने कहा, ‘‘राशि छोटी हो सकती है लेकिन उसका इरादा बड़ा है।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के प्रसार की गंभीरता पर ध्यान केंद्रित कर राष्ट्र को दिए अपने हालिया संबोधन में एक कोष की स्थापना की घोषणा की, जिसमें लोग अपना योगदान दे सकते हैं।
मप्र: दो बच्चों ने अपनी गुल्लक की रकम मजदूरों के भोजन के लिए दी पुलिस को
मध्य प्रदेश के नीमच जिले की एक पुलिस चौकी के पुलिसकर्मी 10 और 12 साल के दो बच्चों की करुणा देखकर उस समय द्रवित हो गए जब इन दोनों बच्चों ने कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए मजदूरों के भोजन के लिए अपनी गुल्लक में जमा किए गए 5000 रुपये पुलिस को सौंप दिए।
नीमच जिले की मनासा तहसील के कंजार्डा पुलिस चौकी के प्रभारी अनिल सिंह ठाकुर ने बताया कि मंगलवार को 10 वर्षीय देवराज सिंह परिहार और 12 वर्षीय केशव सिंह परिहार चौकी पर अपनी गुल्लक लेकर पहुंचे। इनकी गुल्लक में कुल 5060 रुपये थे जो इन्होंने परिजन द्वारा दी गई जेबखर्च में से बचाकर जमा किए थे। चौकी पर आकर इन बच्चों ने मुझसे कहा, ‘‘यह रूपए उन मज़दूरों के खाने के लिए है जो अपने घर से दूर यहाँ फंसे हुए है आप इन रुपयों से उन्हें खाना खिलाना।’’
उन्होंने बताया कि ये दोनों बच्चे मनासा तहसील के खेड़ली गांव के रहने वाले हैं। ठाकुर ने कहा कि बच्चों ने बताया, ‘‘इस गुल्लक में महीनों से रुपए जमा किये थे और सोचा था अपने लिए कुछ खरीदेंगे लेकिन जब कोरोना महामारी का सुना तो मन में ख़याल आया यह रुपए हम गरीब लोगों के खाने के लिए दे देते है और इसे लेकर हम चौकी पर आ गए।’’
ठाकुर ने कहा कि जब बच्चों से पूछा गया कि तुम थाने क्यों आए तो उन्होंने कहा चूँकि पुलिस के सम्पर्क में सभी लोग रहते है इसलिए हम थाने चले आये। ठाकुर ने कहा कि बच्चों की भावना देख कर हमने उनकी यह राशि स्वीकार कर ली है। ठाकुर ने इन बच्चों के बारे में कहा, ‘‘ मैं इनका जज़्बा देखकर अभिभूत हूं। कोरोना के खिलाफ जंग में आज इन दो मासूम बच्चों ने मदद का हाथ बढ़ाकर पूरे देश को लड़ने का जज़्बा दिया है। हम इनके हौंसले को दिल से सलाम करते हैं।’’