हजारों मृत कछुए देखकर लिया संरक्षण देने का प्रण, पिछले 30 बरस में लाखों रिडले कछुओं को बचा चुके हैं बिचित्रनंद बिस्वाल

By भाषा | Published: February 9, 2020 01:22 PM2020-02-09T13:22:15+5:302020-02-09T13:22:15+5:30

ओडिशा के एक सुदूर गांव गुंदाबाला में बिचित्रनंद का घर तट से मात्र सौ मीटर के फासले पर है। उनका मानना है कि शिकारियों की मार और समुद्री प्रदूषण के चलते कछुओं की संख्या धीरे धीरे कम हो चली है और अगर इन्हें बचाया नहीं गया तो यह सिर्फ तस्वीरों में ही देखने को मिलेंगे।

Pledge to provide protection after seeing thousands of dead turtles, Bichitrananda Biswal has saved millions of Ridley turtles in last 30 years | हजारों मृत कछुए देखकर लिया संरक्षण देने का प्रण, पिछले 30 बरस में लाखों रिडले कछुओं को बचा चुके हैं बिचित्रनंद बिस्वाल

‘बुची भाई’ के नाम से पुकारे जाने वाले बिचित्रनंद ने कछुओं के संरक्षण में अपना पूरा जीवन लगा दिया है।

Highlightsबिचित्रनंद बिस्वाल के लिए चांदी सी चमकती रेत पर लहरों के साथ कछुओं को आते जाते देखना रोज का काम था। समुद्री प्रदूषण के चलते कछुओं की संख्या धीरे धीरे कम हो चली है

समुद्र किनारे रहने वाले बिचित्रनंद बिस्वाल के लिए चांदी सी चमकती रेत पर लहरों के साथ कछुओं को आते जाते देखना रोज का काम था। एक समय था जब प्रजनन के मौसम के बाद अंडों से निकलकर बहुत से छोटे छोटे कछुए समुद्र की तरफ दौड़ लगाते दिखाई देते थे, लेकिन फिर इनकी संख्या घटने लगी। एक दिन तट पर हजारों मृत कछुए देखकर उन्होंने इस जीव को संरक्षण देने का प्रण ले लिया।

ओडिशा के एक सुदूर गांव गुंदाबाला में बिचित्रनंद का घर तट से मात्र सौ मीटर के फासले पर है। उनका मानना है कि शिकारियों की मार और समुद्री प्रदूषण के चलते कछुओं की संख्या धीरे धीरे कम हो चली है और अगर इन्हें बचाया नहीं गया तो यह सिर्फ तस्वीरों में ही देखने को मिलेंगे। पिछले 30 बरस में वह लाखों रिडले कछुओं को बचा चुके हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां इन खूबसूरत जीवों को जीता जागता देख सकें।

जानने वालों और अपने आसपास के लोगों में ‘बुची भाई’ के नाम से पुकारे जाने वाले बिचित्रनंद ने कछुओं के संरक्षण में अपना पूरा जीवन लगा दिया है। वह स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर इस महत्वपूर्ण कार्य के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष अक्टूबर में उन्हें वन्यजीवन संरक्षण के लिए प्रतिष्ठित ‘बीजू पटनायक अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। रिडले कछुए हिंद एवं प्रशांत महासागर के गर्म पानी में निवास करते हैं।

तटों के आसपास बढ़ती गतिविधियों के कारण उनके प्रजनन स्थल लगातार कम हो चले हैं। गुंदाबाला उनके प्रजनन स्थलों में से एक है और इस पर शिकारियों की नजर हमेशा रहती है। इलाके में बड़े पैमाने पर गैर कानूनी ढंग से मछली पकड़ी जाती है, जो इन कछुओं की घटती संख्या का यह एक बड़ा कारण है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर ने अपनी सूची में इन कछुओं को लाल श्रेणी में रखकर इनके अस्तित्व को खतरे में बताया है। बुची भाई स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कछुओं के संरक्षण की जिम्मेदारी निभाते हैं। उनका मानना है कि तटरक्षकों की गश्त से गैरकानूनी ढंग से समुद्र में जाल डालने वालों को रोकने में मदद मिल सकती है।

समुद्री प्रदूषण भी इन जीवों की तबाही का बड़ा कारण है और वह अपने स्तर पर लोगों को इस बारे में जानकारी देने का प्रयास करते हैं। बुची बताते हैं कि 1990 के दशक में गैर कानूनी ढंग से जाल डालने के बारे में कोई सख्त नियम नहीं थे, जिसकी वजह से हमारे राज्य से समुद्री कछुओं को दूसरे राज्यों में भी भेजा जाता था, लेकिन अब कानूनों के अस्तित्व में आने से हालात बेहतर हुए हैं।

बुची के अनुसार उन्होंने किताबी पढ़ाई तो ज्यादा नहीं की, लेकिन प्रकृति से प्रेम और संरक्षण ने उन्हें इतना जरूर सिखा दिया है कि ईश्वर के बनाए संसाधनों पर केवल इनसान का अधिकार नहीं है। कुदरत ने अपने बनाए हर जीव को इस कायनात में उसके हिस्से की जगह दी है और इनसान को भी कुदरत के इस नियम का पालन करते हुए बेजुबान जीवों को उनके हिस्से की जगह पर शांति से रहने देना चाहिए। 

Web Title: Pledge to provide protection after seeing thousands of dead turtles, Bichitrananda Biswal has saved millions of Ridley turtles in last 30 years

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :Odishaओड़िसा