पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह की तस्वीर एसजीपीसी ने लगाई स्वर्ण मंदिर के म्यूजियम में, हुआ बवाल
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 15, 2022 08:25 PM2022-06-15T20:25:07+5:302022-06-15T20:30:06+5:30
पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की बम विस्फोट में हत्या करने वाले फिदायीन दिलावर सिंह बब्बर की तस्वीर शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मंगलवार को स्वर्ण मंदिर के म्यूजियम में लगाई।
अमृतसर: 31 अगस्त 1995 को सिख आतंकवाद की भेट चढ़ गये पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे की तस्वीर स्वर्ण मंदिर स्थित सिख म्यूजियम में लगाने जाने से विवाद खड़ा हो गया है।
जानकारी के मुताबिक पूर्व सीएम बेअंत सिंह की बम विस्फोट में हत्या करने वाले फिदायीन दिलावर सिंह बब्बर की तस्वीर शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने मंगलवार को म्यूजियम में लगाई।
जिसके बाद से कमेटी के इस फैसले के विरोध और समर्थन में आवाजें उठनी शुरू हो गईं। सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चूंकि साल 2012 में दिलावर सिंह श्री अकाल तख्त साहिब अमर शहीद का दर्जा दिया था, इसलिए उसी समय से दिलावर सिंह के पोट्रेट लगाने का मामला अटका पड़ा था, जिसे मंगलवार को पूरा कर लिया गया है।
बताया जा रहा है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने दिलावर सिंह की तस्वीर का मंगलवार को गुरुद्वारे के म्यूजियम में अनावरण किया।
दिलावर सिंह पंजाब अगलगाववादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशल का एक्टिव मेंबर था, जिसने 31 अगस्त1995 में चंडीगढ़ सेक्रेटेरियेट में आत्मघाती हमला करके तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी।
एसजीपीसी ने दिलावर सिंह को श्रीअकाल तख्त साहिब अमर शहीद दर्जा मिलने के 10 साल बाद दिलावर सिंह की तस्वीर को म्यूजियम में जगह दे दी गई है।
इस पूरे मामले पर बोलते हुए एसजीपीसी प्रमुख धामी ने कहा कि दिलावर सिंह 1995 में शहीद हुए थे, जिन्हें साल 2012 में अकाल तख्त पर बलवंत सिंह राजोआना को 'जिंदा शहीद' के साथ अमर शहीद का दर्जा दिया गया था। हम उसी समय से दिलावर सिंह की तस्वीर म्यूजियम में लगाना चाहते थे।
इसके साथ ही एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने दिलावर सिंह की तस्वीर म्यूजियम में लगाए जाने का विरोध करने वालों के बारे में कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उनसे कहना चाहता हूं कि ये सिख पंथ का आंतरिक मामला है। सिख पंथ किसी अन्य धर्म या पंथ में दखल अंदाजी नहीं करता और वह भी उम्मीद करता है कि कोई दूसरा उनके पंथक मामलों में दखल-अंदाजी न करें।
इसके साथ ही धामी ने यह भी कहा है कि दिलावर सिंह की सिख पंथ के लिए की गई सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी तस्वीर को सिख संग्रहालय में लगाया गया है। दिलावर सिंह ने उस समय सिखों के खिलाफ किए गए अत्याचारों और घोर मानवाधिकार उल्लंघनों का बदला ने के लिए स्वयं का बलिदान किया और सिख पंथ में अपना नाम अमर कर लिया।