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2014 के विधानसभा चुनाव में झारखंड की जनता ने सबको चौंकाया, जब चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को हराया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 30, 2019 15:42 IST

2014 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में चार मुख्यमंत्री- अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन अपने पारंपरिक गढ़ से चुनाव हार गए। इतना ही नहीं एक उप-मुख्यमंत्री सुदेश महतो को भी मतदाताओं ने नकार दिया था।

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ठळक मुद्देतीन बार के मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता अर्जुन मुंडा को खरसवां आरक्षित विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था।पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा मजगांव आरक्षित सीट से चुनाव हार गए थे।

झारखंड विधानसभा चुनाव अक्सर ऐसे नतीजे पेश कर देता है जिससे बड़े-बड़े चुनावी पंडित भी चकरा जाते हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव भी इससे कुछ अलग नहीं थे। इस चुनाव में चार मुख्यमंत्री- अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन अपने पारंपरिक गढ़ से चुनाव हार गए। इतना ही नहीं एक उप-मुख्यमंत्री सुदेश महतो को भी मतदाताओं ने नकार दिया था। 

बीजेपी से तीन बार के मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता अर्जुन मुंडा को खरसवां आरक्षित विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले मुंडा इस सीट पर जेएमएम और बीजेपी के टिकट पर चार बार चुनाव जीत चुके थे। उन्हें जेएमएम के दसरथ गगरई ने 12 हजार वोट के मार्जिन से हराया। मुंडा की ये शर्मनाक हार ऐसे वक्त में हुई जब बीजेपी मोदी लहर पर सवार थी। 

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, जो कभी बीजेपी और आरएसएस के कद्दावर नेता माने जाते थे। उन्होंने अपनी नई पार्टी जेवीएम-पी का गठन किया। मरांडी ने 2014 में गिरिडीह और धनवर सीटों से चुनाव लड़ा लेकिन दोनों सीटों पर उनकी शर्मनाक हार हुई।

गिरिडीह सीट पर बीजेपी के निर्भय कुमार जीते और दूसरे नंबर पर जेएमएम रही। बाबूलाल मरांडी तीसरे नंबर पर आए। वहीं धनवर सीट पर भी मरांडी को सीपीआई(एमएल) के राज कुमार ने 11 हजार वोट के अंतर से हराया। हालांकि इस चुनाव में बाबूलाल मरांडी की पार्टी आठ सीटें जीतने में कामयाब रही थी। 

पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी दो सीटों पर चुनाव लड़े- बरहैट और दुमका। दुमका सीट पर उन्हें बीजेपी के लोइस मरांडी ने 10 हजार वोट से हराया। हालांकि बरहैट सीट जीतकर हेमंत सोरेन ने अपनी इज्जत बचाई।

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा मजगांव आरक्षित सीट से चुनाव हार गए थे। उन्होंने जेएमएम के नीरल पूर्ती ने 11 हजार वोट के अंतर से हराया। इसके अलावा पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुदेश महतो भी अपनी पारंपरिक सिल्ली सीट से हार गए थे। इस सीट पर उन्होंने लगातार तीन बार जीत हासिल हुई थी। 2014 विधानसभा चुनाव में उन्हें जेएमएम के अमित महतो ने करीब 30 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया था।

झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनाव पांच चरण में आयोजित किए जाएंगे। इसमें पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को हो रहा है। चुनावी पंडित एक बार फिर सांस थामें हुए हैं कि आखिर 23 दिसंबर को झारखंड में और क्या बड़ा उलटफेर देखने को मिलता है।

टॅग्स :झारखंड विधानसभा चुनाव 2019भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)झारखंड मुक्ति मोर्चा
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