इलाहाबाद हाईकोर्ट: वकीलों से बक्शीश के लिए कमर पर Paytm QR Code लगाना पड़ गया भारी, कोर्ट ने किया जमादार को सस्पेंड, देखें फोटो
By आजाद खान | Published: December 1, 2022 05:08 PM2022-12-01T17:08:11+5:302022-12-01T17:21:09+5:30
आपको बता दें कि जब यह फोटो वायरल हुई तब इस पर कार्रवाई की गई है। वायरल फोटो को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कार्रवाई करने का आदेश दिया है जिसके बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक कोर्ट जमादार को सस्पेंड कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि कोर्ट जमादार का एक फोटो वायरल हो रहा है जिसमें वह कमर पर पेटीएम बारकोर्ड लगाए घूम रहा है और इसके जरिए वह वकीलों से ऑनलाइन बख्शीश ले रहा है।
इस फोटे के वायरल होने के बाद कोर्ट जमादार के खिलाफ कार्रवाई हुई है उसे स्सपेंड कर दिया गया है। बता दें कि कोर्ट जमादार को निलंबन करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक आशीष गर्ग ने दिया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक कोर्ट जमादार को वकीलों से पेटीएम के जरिए बख्शीश लेते हुए देखा गया है। इस बख्शीश को लेने के लिए कोर्ट जमादार अपने कमर पर पेटीएम का बार कोर्ड लगाए हुए दिख रहा है।
#AllahabadHighCourt Chief Justice Rajesh Bindal suspends Court Jamadar for using @Paytm wallet in court premises to receive tips. pic.twitter.com/MSCNAdmB86
— LawBeat (@LawBeatInd) December 1, 2022
ऐसे में कोर्ट में मौजूद किसी ने इस जमादार की फोटो खींच ली थी जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस तस्वीर के वायरल होने के बाद जमादार के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। बताया जा रहा है कि इस घटना को मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने गंभीरता से लिया और इसके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे।
ऐसे में जमादार को निलंबित कर दिया गया है और निलंबन के दौरान उसकी डयूटी भी बताई गई है।
क्या लिखा था निलंबन के आदेश में
“माननीय मुख्य न्यायाधीश के दिनांक 29.11.2022 के आदेश के तहत, माननीय श्री न्यायमूर्ति अजीत सिंह के दिनांक 29.11.2022 के पत्र पर विचार करने के बाद पारित किया गया, जिसमें न्यायालय जमादार, श्री राजेंद्र कुमार -1, कर्मचारी नंबर 5098, के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। बंडल लिफ्टर, श्री राजेंद्र कुमार- I, कोर्ट परिसर में पेटीएम वॉलेट का उपयोग करने के लिए, तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि के दौरान वह इस माननीय न्यायालय के नजारत अनुभाग से जुड़ा रहेगा और अधोहस्ताक्षरी की पूर्व स्वीकृति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ेगा।”