NCP प्रमुख शरद पवार ने फिर कांग्रेस के रुख से बनाई दूरी, कहा-चीन ने 1962 के युद्ध के बाद हथियाई थी 45000 वर्ग किमी जमीन
By हरीश गुप्ता | Published: June 28, 2020 07:29 AM2020-06-28T07:29:23+5:302020-06-28T07:57:36+5:30
राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति से परहेज जाहिर तौर पर पवार का इरादा कांग्रेस और राहुल गांधी सहित उसके नेताओं को यह बताने का ही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: पूर्व रक्षामंत्री और कांग्रेस के एक वरिष्ठ सहयोगी शरद पवार ने फिर एक बार कांग्रेस के रुख से दूरी ही बनाए रखी है. पवार ने गलवान घाटी में चीन की कथित घुसपैठ पर कांग्रेस के मोदी सरकार विरोधी रुख से खुद को अलग रखा है. साथ ही पहली बार पवार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा कांग्रेस पार्टी के आरोपों के जवाब को ही मानो दोहराया है. चौंकाने वाले अंदाज में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए पवार ने कहा, ''कोई इस बात को नहीं भूला सकता कि चीन ने 1962 के युद्ध के बाद हमारी 45,000 वर्ग किमी. जमीन पर कब्जा कर लिया था.''
उल्लेखनीय है कि पीएमओ ने 20 जून को एक कड़े बयान में कहा था कि ''पिछले 60 साल में भारत ने 43000 वर्ग किमी इलाका गंवाया (चीन को) है जबकि मोदी के कार्यकाल में एक इंच भी जमीन नहीं गंवाई है.'' राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति से परहेज जाहिर तौर पर पवार का इरादा कांग्रेस और राहुल गांधी सहित उसके नेताओं को यह बताने का ही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. राकांपा प्रमुख ने यह भी कहा कि गलवान घाटी की घटना के लिए रक्षामंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि हमारे सैनिक चौकस होकर पेट्रोलिंग कर रहे थे.
शरद पवार ने चीन के मसले पर खुद को कांग्रेस के रुख से अलग रखा
उन्होंने गलवान घाटी में उकसावे की कार्रवाई के लिए चीन की भी आलोचना की. ऐसा हुआ है चौथी बार यह हालिया वक्त में चौथी बार है कि पवार ने चीन के मसले पर खुद को कांग्रेस के रुख से सार्वजनिक तौर पर अलग रखा है. प्रधानमंत्री की सर्वदलीय बैठक में उन्होंने कांग्रेस के रुख का समर्थन नहीं किया था. उन्होंने कांग्रेस की प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल की बजाय प्रत्यक्ष मुलाकात की मांग को भी नकार दिया था.
उसके बाद एक टीवी चैनल इंटरव्यू में भी उन्होंने कांग्रेस के चीन के मसले पर रुख से स्पष्ट असहमति जताई थी. कांग्रेस अलग-थलग जहां तक चीन के खिलाफ रुख और गलवान घाटी का मामला है कांग्रेस खुद को अलग-थलग पा रही है. कोई भी विपक्षी दल उसके साथ खड़ा होने को तैयार नहीं है. यहां तक कि वामदल भी चीन की ओर झुकाव के कारण चुप्पी साधे हुए हैं. द्रमुक, झामुमो, तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा, तेदेपा, वायएसआर कांग्रेस, टीआरएस, बीजद कोई भी इस मामले में राजनीति को लाने के पक्ष में नहीं दिखता.