बिहार के सेनारी नरसंहार मामले में 13 लोगों को पटना हाईकोर्ट ने किया बरी, रिहा करने का आदेश
By एस पी सिन्हा | Updated: May 21, 2021 22:02 IST2021-05-21T20:13:41+5:302021-05-21T22:02:26+5:30
पटना हाई कोर्ट ने जहानाबाद के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार मामले में उन 13 लोगों को बरी कर दिया है जिन्हें निचली अदालत ने दोषी करार दिया था। कोर्ट ने सभी की तत्काल रिहाई के भी आदेश दिए हैं।

सेनारी नरसंहार मामले पटना हाई कोर्ट ने 13 लोगों को किया बरी (फाइल फोटो)
पटना: बिहार के जहानाबाद जिले के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार मामले में शुक्रवार को पटना उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए 13 लोगों को बरी करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते ये आदेश दिया है.
इन सभी को निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. दरअसल, 18 मार्च 1999 में हुए इस नरसंहार में 34 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. 15 नवंबर 2016 को जहानाबाद जिला अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए 10 लोगों को फांसी व तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसी फैसले को पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह व न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है. निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया.
वहीं दोषी द्वारिका पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव और अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी.
सेनारी नरसंहार की पूरी कहानी
इस मामले में लंबे समय से सुनवाई चल रही थी. पटना हाईकोर्ट ने सभी को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अशुल राज के दलीलों के सामने सरकारी पक्ष नहीं टिक सका.
यहां बता दें कि 18 मार्च 1999 को जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में प्रतिबंधित एमसीसी के सशक्त उग्रवादियों ने 34 लोगों को गोली मारकर और गला काटकर मौत के घाट उतार दिया था. उस रात सेनारी गांव में सैकड़ो लोग घुसे. गांव को चारों ओर से घेर लिया.
घरों से खींच-खींच के मर्दों को बाहर किया गया. कुल 40 लोगों को चुना गया. चालीसों लोगों को खींचकर गांव से बाहर ले जाया गया और तीन समूहों में बांट दिया गया. इसके बाद बारी-बारी से हर एक का गला और पेट चीर दिया गया. 34 लोग मर गये. 6 तड़प रहे थे. यह गांव भूमिहारों का था. मारने वाले एमसीसी के थे.