मोदी सरकार की इन दो योजनाओं के बीच की खाई ने बढ़ाई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की परेशानी, एम्स ने जताई चिंता
By रामदीप मिश्रा | Published: September 22, 2019 10:59 AM2019-09-22T10:59:56+5:302019-09-22T11:02:09+5:30
एम्स ने अपने पत्र में कहा है कि कई मामलों में एम्स तकनीकी समिति द्वारा अनुमोदित होने के बावजूद चिकित्सा संस्थान से भेजे गए आवेदनों को मंत्रालय ने अस्वीकार किया।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने चिंता जताते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि कई खतरनाक बीमारियों से ग्रसित मरीज केंद्रीय स्वास्थ्य योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) और राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) के बीच बनी खाई के चलते परेशान हो रही हैं।
ये मरीज एंड-स्टेज रीनल डिजीज, क्रॉनिक किडनी डिजीज, क्रॉनिक लीवर डिजीज और ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। ऐसे मरीजों को आयुष्मान भारत के तहत इलाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि ये बीमारी स्कीम के तहत परिभाषित 1,350 मेडिकल पैकेजों में से नहीं हैं और इसलिए इसे कवर नहीं किया जाता है। लेकिन, ये सभी अक्सर आयुष्मान भारत कार्ड धारकों के पहले की RAN योजना के तहत लाभ से वंचित रह जाते हैं।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि एम्स ने अपने पत्र में कहा है कि कई मामलों में एम्स तकनीकी समिति द्वारा अनुमोदित होने के बावजूद चिकित्सा संस्थान से भेजे गए आवेदनों को मंत्रालय ने अस्वीकार किया। एम्स प्रशासन ने सरकार से अनुरोध किया कि RAN योजना में AB-PMJAY के तहत वंचित रोगियों को समायोजित करने के लिए कोशिश की जाए।
हालांकि पत्र 10 अगस्त को एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी के शर्मा द्वारा भेजा गया था, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीती सूदन ने कहा कि उन्हें अभी तक पत्र नहीं मिला है। इस मामले को देखने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
पत्र में कहा गया है कि RAN और AB-PMJAY योजनाओं के बीच की खामियों के चलते वित्तीय सहायता प्राप्त करने में असमर्थ मरीज गंभीर संकट में आ रहे हैं, क्योंकि उनके पास वित्तीय सहायता के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। दोनों योजनाओं को गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों की मदद करने के लिए एक-दूसरे का पूरक होना चाहिए। इसके विपरीत, कुछ गरीब रोगी स्वास्थ्य लाभ से वंचित रह जाते हैं, 2019 से पहले की स्थिति में सभी बीपीएल गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगी RAN से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सक्षम थे।