UP Ki Khabar: आइसोलेशन वार्ड में जाने से पहले रोगी का मोबाइल और चार्जर किया जाएगा संक्रमणमुक्त, प्रतिबंध का निर्णय वापस लिया
By भाषा | Published: May 24, 2020 07:02 PM2020-05-24T19:02:35+5:302020-05-24T19:02:35+5:30
कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने एल—2 और एल—3 कोविड अस्पतालों के पृथक-वास वार्ड में मरीजों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने एल—2 और एल—3 कोविड अस्पतालों के पृथक-वास वार्ड में भर्ती मरीजों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर प्रतिबंध का फैसला वापस ले लिया है । अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने रविवार को बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पृथक-वास वार्ड में भर्ती रोगियों के लिए मोबाइल फोन की व्यवस्था से संबंधित आदेश जारी किया है। अवस्थी ने कहा, ''जो भी रोगी 'पृथक-वास वार्ड में' जाएगा, उसे पहले बताना होगा कि उसका चार्जर और मोबाइल कहां है और मोबाइल नंबर क्या है।
वार्ड में जाने से पहले उसका चार्जर और मोबाइल फोन संक्रमणमुक्त किया जाएगा ताकि संक्रमण कहीं और न फैले ।'' अवस्थी ने कहा, ''रोगी अपने चार्जर और मोबाइल को अपने पास ही रखेगा। किसी स्वास्थ्यकर्मी या अपने किसी साथी को नहीं देगा । रोगी जब भी वार्ड से बाहर आएगा, उसका चार्जर और मोबाइल फोन फिर से संक्रमणमुक्त किया जाएगा ।'' उन्होंने कहा कि रोगी के पास जो भी सामग्री होगी, उसे संक्रमणमुक्त करने के आदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जारी कर दिये हैं ।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने एल—2 और एल—3 कोविड अस्पतालों के पृथक-वास वार्ड में मरीजों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
महानिदेशक :चिकित्सा शिक्षा: डॉ. के के गुप्ता ने सभी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों और सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रमुखों को आदेश जारी करते हुए कहा था कि मोबाइल से संक्रमण फैलता है। उन्होंने साथ ही निर्देश दिया था कि कोविड अस्पताल के प्रभारी को दो मोबाइल फोन उपलब्ध कराए जाएं, ताकि भर्ती मरीज अपने परिजनों से और परिजन अपने मरीज से बात कर सकें ।
इसपर सपा अध्यक्ष अखिलेश ने ट्वीट किया था, ''अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो पृथक-वास वार्ड के साथ पूरे देश में इसे प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा, ''यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है। वस्तुतः अस्पतालों की दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए यह पाबंदी है । ज़रूरत मोबाइल पर पाबंदी की नहीं, बल्कि संक्रमणमुक्ति की है।''