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संसदीय समिति ने मंत्रालयों को उनके खर्च की निगरानी के लिए दिए ये सुझाव

By भाषा | Updated: February 7, 2020 16:18 IST

संसदीय समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि वह संबंधित मंत्रालयों से कहना चाहती है कि वे अतिरिक्त खर्च पर नियंत्रण रखने के लिये सभी उपयुक्त कदमों के साथ प्रभावी उपाय करें।

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ठळक मुद्देएक संसदीय समिति ने विभिन्न मंत्रालयों को कैग और महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के साथ विचार विमर्श और समन्वय बिठाते हुये अपने खर्चों पर कड़ी निगरानी रखने के लिये एक बेहतर प्रणाली विकसित करने को कहा है। संसद की लोक लेखा समिति ने मंत्रालयों को अपनी रिपोर्ट ‘‘मंजूरी प्राप्त अनुदान मांगों और प्रभारित विनियोग से अधिकता (2016- 17)’’ में यह सुझाव दिया है।

एक संसदीय समिति ने विभिन्न मंत्रालयों को कैग और महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के साथ विचार विमर्श और समन्वय बिठाते हुये अपने खर्चों पर कड़ी निगरानी रखने के लिये एक बेहतर प्रणाली विकसित करने को कहा है। संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने मंत्रालयों को अपनी रिपोर्ट ‘‘मंजूरी प्राप्त अनुदान मांगों और प्रभारित विनियोग से अधिकता (2016- 17)’’ में यह सुझाव दिया है। इसमें यह भी कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने के लिये कि खर्च संसद में प्राप्त मंजूरी से अधिक नहीं हो, समय पर जरूरी कदम उठाये जाने की नितांत आवश्यकता है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016- 17 के दौरान केन्द्र सरकार की नागरिक उड्डयन, रक्षा, डाक सेवाओं और रेलवे इन चार मामलों में विनियोग खातों के परीक्षण से पता चलता है कि सात अनुदानों और विनियोगों से जुड़े 12 मामलों में 1,90,270.18 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ है। 

समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि वह संबंधित मंत्रालयों से कहना चाहती है कि वे अतिरिक्त खर्च पर नियंत्रण रखने के लिये सभी उपयुक्त कदमों के साथ प्रभावी उपाय करें। समिति ने मंत्रालयों से कहा है कि वह इस संबंध में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) और महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के साथ विचार विमर्श कर एक बेहतर प्रणाली विकसित करें जिससे कि खर्चों पर सख्ती के साथ निगरानी रखी जा सके। 

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली पीएसी ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई है कि उसके बार बार सावधान करने के बावजूद रेल मंत्रालय अपने खातों में खर्च के गलत वर्गीकरण को दूर करने में असफल रही है। 

एक अन्य रिपोर्ट में समिति ने इस बात को लेकर निराशा जताई है कि रक्षा मंत्रालय के तहत दिये गये अनुदानों में बार बार अतिरिक्त खर्च को कम करने को लेकर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर न तो रक्षा मंत्रालय और न ही वित्त मंत्रालय ने कोई कदम उठाया है। 

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