भारत ने लोकतंत्र को जिया, पीएम मोदी बोले-भारत ने सिद्ध किया Democracy can deliver, वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 1, 2025 11:46 IST2025-12-01T11:44:58+5:302025-12-01T11:46:33+5:30

Parliament winter session: संसद देश के लिए क्या सोच रही है, संसद देश के लिए क्या करना चाहती है, संसद देश के लिए क्या करने वाली है, इन मुद्दों पर केंद्रित होना चाहिए।

Parliament winter session pm narendra modi said India lived democracy India proved that democracy can deliver video | भारत ने लोकतंत्र को जिया, पीएम मोदी बोले-भारत ने सिद्ध किया Democracy can deliver, वीडियो

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Highlightsविपक्ष भी अपना दायित्व निभाए, चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए, पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आए।राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र भी करेगा।लोकतंत्र की उमंग और उत्साह को समय-समय पर इस तरह प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है।

नई दिल्लीःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि संसद का ये शीतकालीन सत्र सिर्फ कोई ritual नहीं है। ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र भी करेगा। ऐसा मुझे विश्वास है। भारत ने लोकतंत्र को जिया है। लोकतंत्र की उमंग और उत्साह को समय-समय पर इस तरह प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है। गत दिनों बिहार में जो चुनाव हुआ, उसमें मतदान का जो विक्रम हुआ, वो लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। माताओं-बहनों की जो भागीदारी बढ़ रही है, ये अपने आप में एक नई आशा, नया विश्वास पैदा करती है। एक तरफ लोकतंत्र की मजबूती और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को भी दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।

भारत ने सिद्ध कर दिया है कि Democracy can deliver। जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रही है। विकसित भारत के लक्ष्य के और जाने में ये हममें नया विश्वास तो जगाती ही है, नई ताकत भी देती है। दुर्भाग्य ये है कि 1-2 दल तो ऐसे हैं कि वो पराजय भी नहीं पचा पाते। मैं सोच रहा था कि बिहार के नतीजों को इतना समय हो गया, तो अब थोड़ा संभल गए होंगे।

लेकिन, कल जो मैं उनकी बयानबाजी सुन रहा था, उससे लगता है कि पराजय ने उनको परेशान करके रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह संसद को चुनावी हार के बाद “हताशा निकालने का मंच” बना रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष चाहे तो वह राजनीति में सकारात्मकता लाने के कुछ सुझाव देने को तैयार हैं।

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले संसद परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सत्र राजनीतिक रंगमंच न बने, बल्कि रचनात्मक और परिणामोन्मुखी बहस का माध्यम बने। उन्होंने कहा, “कुछ समय से हमारी संसद या तो चुनावों के लिए कथित तैयारी की जगह या फिर हार के बाद हताशा निकालने का माध्यम बन गई है।”

बिहार विधानसभा चुनावों में विपक्ष की करारी हार का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद सत्र हार से उपजी निराशा का युद्धक्षेत्र या विजय के बाद अहंकार का मंच नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में रिकॉर्ड मतदान लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए चुनावी हार के बाद के अवसाद से बाहर आना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने उप राष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन को भी राज्यसभा के सभापति के तौर पर पहले सत्र की अध्यक्षता करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में 21 जुलाई, 2025 को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

इसके बाद उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और राधाकृष्णन इस पद पर निर्वाचित हुए। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। उच्च सदन के सभापति के तौर पर शीतकालीन सत्र राधाकृष्णन का पहला सत्र है। संसद का शीतकालीन सत्र आज सोमवार से शुरू हुआ है और इसमें 15 बैठकें निर्धारित हैं।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष दोनों से अपील की है कि वे सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही का सुचारू और निर्बाध तरीके से संचालन सुनिश्चित करें ताकि दिल्ली में वायु प्रदूषण और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसे आवश्यक एवं जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो सके।

सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मायावती ने कहा, ‘‘संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है, जिसके हर सत्र की तरह इस बार भी काफी हंगामेदार होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, लेकिन हमारी पार्टी चाहती है कि संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू व शांतिपूर्ण तरीके से संचालित हों तथा सार्थक मुद्दों पर चर्चा हो।’’

उन्होंने वर्तमान में जारी एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान आ रही व्यावहारिक मुश्किलों और आपत्तियों के साथ-साथ काम के दबाव के कारण कथित आत्महत्या की घटनाओं की ओर इशारा करते हुए बूथ-स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘संसद की कार्यवाही सुचारू एवं शांतिपूर्ण तरीके से संचालित होनी चाहिए ताकि देश व जनहित के जरूरी एवं अहम मुद्दों खासकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एवं इसके आस पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के कारण हो रही भारी परेशानी तथा मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अर्थात् एसआईआर को लेकर आ रही व्यावहारिक परेशानियों और आपत्तियों के साथ साथ बूथ स्तर के अधिकारियों की आत्महत्या जैसी घटनाओं पर ठीक से चर्चा किए जाने और इनका उचित समाधान निकलने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा सकें।’’

केवल आरोप-प्रत्यारोप लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि देश व जनहित के वास्ते संसद को सुचारू रूप से संचालित करना होगा। उन्होंने सरकार और विपक्ष दोनों से राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर पूरी तरह से संवेदनशील एवं गंभीर होकर काम करने का आग्रह किया। मायावती ने उम्मीद जताई कि शीतकालीन सत्र इन जरूरी चिंताओं को हल करने के लिए अच्छे प्रयासों का मार्ग प्रशस्त करेगा।

संसद सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री का बयान सिर्फ पाखंड है: कांग्रेस

कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद सत्र की शुरुआत से पहले बयान देना सिर्फ पाखंड है क्योंकि वह खुद सदन में मौजूद नहीं होते और विपक्ष से संवाद नहीं करते। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि संसद में किसी गतिरोध के लिए खुद प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह संसद को चुनावी हार के बाद “हताशा निकालने का मंच” बना रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष चाहे तो वह राजनीति में सकारात्मकता लाने के कुछ सुझाव देने को तैयार हैं।

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले संसद परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सत्र राजनीतिक रंगमंच न बने, बल्कि रचनात्मक और परिणामोन्मुखी बहस का माध्यम बने। इस पर पलटवार करते हुए रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री कभी संसद में उपस्थित नहीं होते और इसे महत्व नहीं देते हैं। वह कभी विपक्ष से संवाद नहीं करते।

फिर भी प्रत्येक सत्र से पहले वह संसद भवन के बाहर खड़े होकर लोकसभा और राज्यसभा के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए विपक्ष से रचनात्मक सहयोग के लिए राष्ट्र के सामने भाषण देते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि संसद सुचारु रूप से नहीं चलती है तो दोष पूरी तरह से प्रधानमंत्री का है क्योंकि उन्होंने विपक्ष को अत्यावश्यक लोक महत्व के मुद्दों को उठाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

वह विपक्ष को कम से कम अपनी बात कहने का मौका दिए बिना हमेशा अपने रास्ते पर चलना चाहते हैं।’’ रमेश ने आरोप लगाया कि संसद शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री का बयान पाखंड के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सबसे बड़े ‘ड्रामेबाज’ ही ‘ड्रामे’ की बातें कर रहे हैं।

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