जल संकट पर संसद में कोहराम, सांसदों ने कहा- पेयजल का कोई तो स्थायी समाधान होना चाहिए
By भाषा | Published: June 26, 2019 01:22 PM2019-06-26T13:22:33+5:302019-06-26T13:22:33+5:30
राज्यसभा और लोकसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश के अलग अलग हिस्सों में बढ़ रहे पेयजल संकट का मुद्दा उठाया और सरकार से नदियों को जोड़ने व भूजल का स्तर बढ़ाने की खातिर वर्षा जल संचयन जैसे कदम उठाते हुए समय रहते समाधान निकालने की मांग की।
जल संकट को लेकर पूरे देश में हंगामा हो रहा है। मॉनसून में देरी के कारण बारिश कम हो रही है। लोग ही नहीं सांसद भी इसकी चपेट में हैं।
राज्यसभा और लोकसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश के अलग अलग हिस्सों में बढ़ रहे पेयजल संकट का मुद्दा उठाया और सरकार से नदियों को जोड़ने व भूजल का स्तर बढ़ाने की खातिर वर्षा जल संचयन जैसे कदम उठाते हुए समय रहते समाधान निकालने की मांग की।
द्रमुक के एक सदस्य ने लोकसभा में बुधवार को तमिलनाडु में भीषण जल संकट के विषय को उठाया और चेन्नई समेत विभिन्न स्थानों पर रेल टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग केंद्र सरकार से की।
Dayanidhi Maran, DMK MP in Lok Sabha: The pre-monsoon rain is the lowest in the last 65 years. Water supply in the four reservoirs supplying water in Chennai has dropped below 1 %. We are going through a severe water crisis. A similar situation took place in 2004... (1/2) pic.twitter.com/0367ICGrWE
— ANI (@ANI) June 25, 2019
द्रमुक के टी आर बालू ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि तमिलनाडु में भयावह जल संकट है। राज्य की कई नदियों का जलस्तर कम हो गया है और जलाशय सूख गये हैं। उन्होंने जल संकट पर नीति आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2030 तक पूरे देश में स्थिति खतरनाक होगी।
बालू ने केंद्र सरकार से मांग की कि तमिलनाडु में जल को तरस रही जनता को राहत पहुंचाने के लिए तत्काल रेल टैंकरों से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए। पश्चिम बंगाल के माल्दा उत्तर से भाजपा के खगेन मुर्मू ने अपने क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने की मांग की।
रास में उठा पेयजल संकट का मुद्दा, समय रहते समाधान की मांग की गयी
राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश के अलग अलग हिस्सों में बढ़ रहे पेयजल संकट का मुद्दा उठाया और सरकार से नदियों को जोड़ने तथा भूजल का स्तर बढ़ाने की खातिर वर्षा जल संचयन जैसे कदम उठाते हुए समय रहते समाधान निकालने की मांग की।
शून्यकाल में भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह पुरानी समस्या है जो दिन पर दिन गंभीर रूप लेती जा रही है। मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड, राजस्थान के बाड़मेर और बीकानेर, महाराष्ट्र के विदर्भ में अत्यंत चिंताजनक स्थिति है जहां पेयजल संकट बना रहता है लेकिन अब कर्नाटक, झारखंड और देश के विभिन्न हिस्सों में समस्या विकराल रूप लेती जा रही है।
जटिया ने कहा ‘‘पेयजल संकट का कोई तो स्थायी समाधान होना चाहिए। सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। जल शक्ति मंत्रालय को चाहिए कि वह नदियों को जोड़ने के लिए पांच बड़ी परियोजनाएं बनाए। ये परियोजनाएं पूरे देश के लिए हों ताकि एक हिस्से के अतिरिक्त पानी को सूखे वाले हिस्से में उपलब्ध कराया जाए।
पेयजल संकट हल होने के बाद अतिरिक्त पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाना चाहिए।’’ भाजपा के ही अशोक वाजपेयी ने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगले साल देश के और ज्यादा हिस्सों में जल संकट होगा।
चेन्नई में अभी से गंभीर हालत है। इसी पार्टी की सरोज पांडेय ने कहा कि सरकार अपनी ओर से प्रयास कर रही है लेकिन लोगों के बीच जागरूकता फैलाना भी बहुत जरूरी है ताकि मानसून के दौरान वर्षा जल का संचयन किया जा सके और भूजल स्तर बढ़ सके।
सपा के रेवती रमण सिंह ने कहा कि आने वाले समय में देश के कई शहरों में भूजल स्रोत सूख जाएंगे। सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मुद्दे को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि अगर अल्पकालिक चर्चा के लिए या ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया जाए तो इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने सदस्यों से आपस में विचारविमर्श करने और नोटिस देने के लिए कहा। नायडू ने यह भी कहा कि कार्य मंत्रणा समिति में पेयजल संकट के मुद्दे को प्राथमिकता देने के बारे में चर्चा हुई थी। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर विषय है और कई सदस्यों ने इस संबंध में नोटिस दिए हैं। अगर सरकार अनुमति दे तो इस पर चर्चा की जा सकती है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।