संसद लोकतंत्र का मंदिर, जनहित के मुद्दों पर चर्चा एवं निर्णय करने का स्थान : राष्ट्रपति कोविंद

By भाषा | Updated: August 14, 2021 21:54 IST2021-08-14T21:54:09+5:302021-08-14T21:54:09+5:30

Parliament is a temple of democracy, a place to discuss and decide on issues of public interest: President Kovind | संसद लोकतंत्र का मंदिर, जनहित के मुद्दों पर चर्चा एवं निर्णय करने का स्थान : राष्ट्रपति कोविंद

संसद लोकतंत्र का मंदिर, जनहित के मुद्दों पर चर्चा एवं निर्णय करने का स्थान : राष्ट्रपति कोविंद

नयी दिल्ली, 14 अगस्त राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है, जो जनहित से जुड़े विषयों पर चर्चा एवं निर्णय करने का सर्वोच्च मंच है।

राष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में सम्पन्न संसद के मॉनसून सत्र के दौरान काफी हंगामा एवं व्यवधान पैदा हुआ था और सत्र को समय से पहले अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया था।

देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर दूरदर्शन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था पर पड़े विनाशकारी प्रभावों का भी उल्लेख किया ।

उन्होंने कहा कि महामारी की तीव्रता में कमी आई है, लेकिन कोरोना-वायरस का प्रभाव अभी समाप्त नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि अब तक के अनुभव से यही सीख मिली है कि अभी हम सबको लगातार सावधानी बरतने की जरूरत है।

कोविंद ने कहा, ‘‘ इस समय वैक्सीन हम सबके लिए विज्ञान द्वारा सुलभ कराया गया सर्वोत्तम सुरक्षा कवच है। हमारे देश में चल रहे विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 50 करोड़ से अधिक देशवासियों को वैक्सीन लग चुकी है।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूं कि वे प्रोटोकॉल के अनुरूप जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवा लें और दूसरों को भी प्रेरित करें।’’

उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर से हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे पर बहुत दबाव पड़ा है और सच तो यह है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं समेत, किसी भी देश का बुनियादी ढांचा, इस विकराल संकट का सामना करने में समर्थ सिद्ध नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि हमने स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए युद्ध-स्तर पर प्रयास किए तथा चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए एक वर्ष की अवधि में ही तेईस हजार दो सौ बीस करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

कोविंद ने कहा कि सरकार, उन मजदूरों और उद्यमियों की जरूरतों के प्रति भी संवेदनशील रही है जिन्हें लॉकडाउन और आवागमन पर प्रतिबंधों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि इनकी जरूरतों को समझते हुए सरकार ने पिछले वर्ष उन्हें राहत प्रदान करने के लिए बहुत से कदम उठाए थे।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी सरकार ने मई और जून में करीब 80 करोड़ लोगों को अनाज उपलब्ध कराया और अब यह सहायता दीपावली तक के लिए बढ़ा दी गई है।

राष्ट्रपति ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों की चिंताओं के संदर्भ में कहा कि इस बात की खुशी है कि सभी बाधाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में - विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में - बढ़ोतरी जारी रही है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ कृषि विपणन में किए गए अनेक सुधारों से अन्नदाता किसान और भी सशक्त होंगे और उन्हें अपने उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त होगी।’’

उन्होंने हाल ही में संपन्न तोक्यो ओलंपिक में देश के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने देश का गौरव बढ़ाया है।

कोविंद ने कहा, ‘‘ मैं हर माता-पिता से आग्रह करता हूं कि वे होनहार बेटियों के परिवारों से शिक्षा लें और अपनी बेटियों को भी आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें।’’

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि पचहत्तर साल पहले जब भारत ने आजादी हासिल की थी, तब अनेक लोगों को यह संशय था कि भारत में लोकतंत्र सफल नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग शायद इस तथ्य से अनभिज्ञ थे कि प्राचीन काल में, लोकतंत्र की जड़ें इसी भारत भूमि में पुष्पित-पल्लवित हुई थीं।

कोविंद ने कहा कि आधुनिक युग में भी भारत, बिना किसी भेद-भाव के सभी वयस्कों को मताधिकार देने में अनेक पश्चिमी देशों से आगे रहा है।

उन्होंने कहा, "हमारे राष्ट्र-निर्माताओं ने जनता के विवेक में अपनी आस्था व्यक्त की और ‘हम भारत के लोग’ अपने देश को एक शक्तिशाली लोकतंत्र बनाने में सफल रहे हैं।’’

कोविंद ने कहा, ‘‘हमारा लोकतंत्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है, अतः संसद हमारे लोकतन्त्र का मंदिर है जहां जनता की सेवा के लिए, महत्वपूर्ण मुद्दों पर वाद-विवाद, संवाद और निर्णय करने का सर्वोच्च मंच हमें उपलब्ध है।’’

गौरतलब है कि हाल ही में सम्पन्न संसद के मॉनसून सत्र के दौरान काफी हंगामा एवं व्यवधान हुआ था और सत्र को समय से पहले 11 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया था, जबकि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसे 13 अगस्त तक चलना था । उन्नीस जुलाई को संसद सत्र शुरू होने के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर सरकार एवं विपक्ष के बीच गतिरोध बन गया और इसे अचानक समय से पहले स्थगित कर दिया गया ।

विपक्ष ने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने एवं उनकी आवाज को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया जबकि सरकार ने आरोप लगाया कि सुनियोजित तरीके से विपक्ष ने संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी ।

वहीं, राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, ‘‘यह सभी देशवासियों के लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे लोकतंत्र का यह मंदिर निकट भविष्य में ही एक नए भवन में स्थापित होने जा रहा है। यह भवन हमारी रीति और नीति को अभिव्यक्त करेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें हमारी विरासत के प्रति सम्मान का भाव होगा और साथ ही समकालीन विश्व के साथ कदम मिलाकर चलने की कुशलता का प्रदर्शन भी होगा। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस नए भवन के उद्घाटन को विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक प्रस्थान बिन्दु माना जाएगा।’’

अपने पैतृक गांव की यात्रा का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए बेहतर आधाराभूत ढांचा विकसित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की मनोवैज्ञानिक दूरी अब पहले की तुलना में काफी कम हो गई है। मूलतः, भारत गांवों में ही बसता है, इसलिए उन्हें विकास के पैमानों पर पीछे नहीं रहने दिया जा सकता।’’

राष्ट्रपति ने इस संदर्भ में प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना सहित किसानों के लिए विशेष अभियानों पर बल देने के सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया ।

उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था में निहित विकास की क्षमता पर दृढ़ विश्वास के साथ सरकार ने रक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक उड्डयन, विद्युत तथा अन्य क्षेत्रों में निवेश को और अधिक सरल बनाया है।

कोविंद ने कहा, ‘‘ सरकार द्वारा पर्यावरण के अनुकूल, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों, विशेष रूप से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के नवीन प्रयासों की विश्वव्यापी प्रशंसा हो रही है।’’

जम्मू-कश्मीर में नव-जागरण का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने लोकतंत्र और कानून के शासन में विश्वास रखने वाले सभी पक्षों के साथ परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर के निवासियों, विशेषकर युवाओं से इस अवसर का लाभ उठाने की अपील की।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले 75 वर्षो में देश की विकास यात्रा में लम्बी दूरी तय करने का जिक्र करते हुए कहा कि आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को साकार करने की दिशा में अभी काफी आगे जाना है।’’

कोविंद ने ‘गगनयान मिशन’ अभियान का उल्लेख किया । उन्होंने समुद्रों का जल-स्तर बढ़ने, ग्लेशियर पिघलने और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने जैसी जलवायु परिवर्तन की समस्या का जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों एवं जलवायु की रक्षा के लिये भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र किया ।

उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान बारामूला में ‘डैगर वॉर मेमोरियल’ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और स्मारक के आदर्श वाक्य ‘मेरा हर काम, देश के नाम’ का उल्लेख किया और देशवासियों से इसे मंत्र के रूप में आत्मसात करने की अपील की।

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