परबत्ता विधानसभा सीट से जदयू विधायक संजीव कुमार देंगे नीतीश कुमार को झटका?, तेजस्वी यादव के साथ लड़ेंगे 2025 विधानसभा चुनाव
By एस पी सिन्हा | Updated: October 1, 2025 16:50 IST2025-10-01T16:48:46+5:302025-10-01T16:50:03+5:30
डॉ. संजीव कुमार का राजद में जाना जदयू की बड़ी क्षति मानी जा रही है। भूमिहार समाज से आने वाले संजीव कुमार की जाति और क्षेत्र दोनों में अच्छी पकड़ है।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले परबत्ता विधानसभा सीट से जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार अब राजद का दामन थामने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे आगामी 3 अक्टूबर को तेजस्वी यादव की मौजूदगी में राजद की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इसके लिए गोगरी भगवान हाई स्कूल मैदान में एक बड़ी सभा का आयोजन किया जा रहा है, जहां तेजस्वी यादव खुद डॉ. संजीव को पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे। डॉ. संजीव कुमार का राजद में जाना जदयू की बड़ी क्षति मानी जा रही है। भूमिहार समाज से आने वाले डॉ. संजीव कुमार की जाति और क्षेत्र दोनों में अच्छी पकड़ है।
उन्होंने पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में ब्रह्मर्षि समाज की बैठक बुलाई थी, जिसे भूमिहार मतदाताओं में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा गया। डॉ संजीव के राजद में जाने से जदयू की परबत्ता सीट कमजोर पड़ सकती है, जबकि राजद को भूमिहार समुदाय में बड़ा फायदा मिल सकता है।
वैसे 2020 के विधानसभा चुनावों में जदयू के उम्मीदवार डा. संजीव कुमार ने राजद के दिगंबर प्रसाद तिवारी को महज 951 वोटों के अंतर से हराया था। डॉ. संजीव कुमार की पिछले कुछ समय से नाराज़गी जदयू नेतृत्व के खिलाफ दिखाई दे रही थी। जब जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापसी की थी, तब भी उनके रुख को लेकर चर्चा तेज थी।
इसके अलावा उन पर विधायकों की खरीद-फरोख्त की साजिश के मामले में ईओयू ने पूछताछ भी की थी। बता दें कि डॉ संजीव पिछले कुछ समय से पार्टी से नाराज़ चल रहे थे। जदयू नेतृत्व के खिलाफ उनके बयान मीडिया में आ रहे थे। डॉ संजीव का आरोप है कि पार्टी के कुछ नेता उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं और उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में कुछ लोग खुद को बड़ा नेता समझते हैं, लेकिन वे वास्तव में कुछ नहीं हैं। बता दें कि विधायकों के खरीद फरोख्त को लेकर जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने डॉ संजीव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वे पार्टी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे।
डॉ संजीव इसे फर्जी मामला बताते हैं और कहते हैं कि यह उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है। डॉ संजीव और अशोक चौधरी के बीच मतभेद की भी खबरें हैं। अशोक चौधरी को राष्ट्रीय महासचिव का पद दिए जाने पर डॉ संजीव ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्हें समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों किया गया। डॉ संजीव की नाराजगी पार्टी नेतृत्व के साथ संवादहीनता के कारण भी है।