बिहार के अस्पतालों की स्थिती है भयावह, अस्पताल में पड़ी हैं लाशें, पूर्व सांसद पप्पू यादव ने बयां किया हालात
By एस पी सिन्हा | Published: May 3, 2021 09:27 PM2021-05-03T21:27:28+5:302021-05-03T21:27:28+5:30
पप्पू यादव ने बताया कि पटना के एनएमसीएच मे ये कई लाशें केवल तीन वार्ड में कल से पड़ी हुई है। आप जरूर गिनती कर लें।
जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने आज पटना स्थिति कोविड डेडिकेटेड अस्पताल एनएमसीएच का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि वार्डों में मरीजों की डेड बॉडी बेड पर ही पडा हुआ है। उनके द्वारा पूछने पर पता चला कि 24 घंटे से लाश ऐसे ही जिंदा मरीजों के बीच पड़ी हुई है।
एक वार्ड में पांच छः मरीजों की डेड बॉडी पड़ा हुआ है। कोई पूछने वाला नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एनएमसीएच को डॉक्टर नहीं वार्ड बॉय चला रहे हैं। यंहा कोई सुनने को तैयार नहीं है। मरीज के परिजनों को 24 घण्टे बाद डेड बॉडी दिया जा रहा है। सबकुछ भगवान भरोसे है यंहा पर। पूर्व सांसद ने कहा कि एनएमसीएच अस्पताल सबकी जान लेगा। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या एनएमसीएच ने नहीं सुधरने और सबकी जान लेने की कसम खाई है?
क्या नीतीश कुमार एनएमसीएच को कब्रगाह बनाने पर तुले है? यह सवाल उठाया है जाप प्रमुख पिछले कई दिनो से लगातार एनएमसीएच जाकर वहां की व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं। इसके बाद पप्पू यादव ने इस कोविड अस्पताल की व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बिहार में अस्पतालों की कुव्यवस्था के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि बिहार की जनता ऑक्सीजन के अभाव में सड़क से लेकर अस्पताल तक मर रही है।
स्वास्थ्य सचिव प्रत्यय अमृत अपने आप को सरकारी कोठी में कैद कर लिया है। बिहार का स्वास्थ्य सचिव घर से नहीं निकलता है। अस्पतालों में दवा, बेड और ऑक्सीजन नहीं है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ हैं। निजी अस्पताल वाले लूट मचाए हुए हैं। इस लूट में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग का ध्यान इलाज पर नहीं है बल्कि इसका पूरा ध्यान मौत के आकडे छुपाने पर है।
उन्होंने कहा कि अभी हमने हेल्थ मैनेजर से बात कर इन लाशों को वार्ड से बाहर निकालने का आग्रह किया है। बता दें कि राजधानी पटना में एनएमसीएच इकलौत पूर्ण कोविड अस्पताल है, राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना मरीज यहीं पर भर्ती किए जा रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी यहां पर व्यवस्था में सुधार को लेकर न तो अस्पताल प्रबंधन और न ही राज्य सरकार की तरफ से कोई उचित इंतजाम कर सकी है।