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पनामा के बाद पंडोरा पेपर्स में भी आया हरीश साल्वे का नाम, लंदन में अपार्टमेंट के लिए खरीदी ऑफशोर कंपनी

By विशाल कुमार | Updated: October 7, 2021 11:00 IST

देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश साल्वे को 15 सितंबर, 2015 को ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स स्थित कंपनी में 50,000 शेयर आवंटित किए गए थे. साल्वे को कंपनी के लाभकारी मालिक के रूप में नामित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कंपनी का स्वामित्व उनके पास है.

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ठळक मुद्देसाल्वे को 15 सितंबर, 2015 को मार्सुल में 50,000 शेयर आवंटित किए गए थे. साल्वे को कंपनी के लाभकारी मालिक के रूप में नामित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कंपनी का स्वामित्व उनके पास है. ऑफशोर कंपनी द्वारा अपने सभी ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल को सूचीबद्ध करते हुए उन्हें एक उच्च जोखिम वाले पीईपी के रूप में चिह्नित किया गया था.यह पूछे जाने पर कि क्या आयकर विभाग को इस बारे में सूचित किया गया था, उन्होंने कहा कि इसका पूरी तरह से खुलासा किया गया है.

नई दिल्ली: देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश साल्वे ने लंदन में एक अपार्टमेंट खरीदने के लिए साल 2015 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (बीवीआई) में मार्सुल कंपनी लिमिटेड अधिग्रहित की थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल्वे को 15 सितंबर, 2015 को मार्सुल में 50,000 शेयर आवंटित किए गए थे. साल्वे को कंपनी के लाभकारी मालिक के रूप में नामित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कंपनी का स्वामित्व उनके पास है. 

वह निदेशक होने के साथ-साथ मार्सुल के सचिव भी हैं. ऑफशोर कंपनी द्वारा अपने सभी ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल को सूचीबद्ध करते हुए उन्हें एक उच्च जोखिम वाले पीईपी (राजनीतिक रूप से संवेदनशील व्यक्ति) के रूप में चिह्नित किया गया था.

साल्वे ने कहा कि मैंने मार्सुल का अधिग्रहण किया क्योंकि यह वह कंपनी थी जिसके पास पार्क टॉवर में लंदन में एक फ्लैट था. मैं एक एनआरआई था, इसलिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी. यह पूछे जाने पर कि क्या आयकर विभाग को इस बारे में सूचित किया गया था, उन्होंने कहा कि इसका पूरी तरह से खुलासा किया गया है.

बता दें कि, इससे पहले साल 2016 में हुए पनामा पेपर्स खुलासे में भी साल्वे का नाम आया था. पनामा स्थित कंपनी मोजैक फोंसेका के रिकॉर्ड से पता चला था कि साल्वे और उनके परिवार के सदस्यों ने लंदन स्थित एजेंट रावी एंड कंपनी के माध्यम से नई दिल्ली में वसंत विहार के साथ भारत के पते के रूप में बीवीआई में तीन ऑफशोर कंपनियों को पंजीकृत किया था. तब साल्वे ने कहा था कि सभी कंपनियां निष्क्रिय थीं.

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार की आंखों के तारे वकील साल्वे ने लंदन अपार्टमेंट खरीदने के लिए बीवीआई फर्म का अधिग्रहण किया. उन्हें याद नहीं है कि क्या आयकर विभाग को इसका खुलासा किया गया था. इससे पहले पनामा पेपर्स में खुलासा हुआ था कि उन्होंने तीन वर्जिन आइलैंड्स फर्मों का अधिग्रहण किया था. मोदीजी आयकर, ईडी या एसआईटी द्वारा कोई जांच की गई?

पंडोरा पेपर्स लीक संबंधी रिपोर्ट इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) की ओर से जारी किया गया है. दुनियाभर के 117 देशों के 600 से अधिक पत्रकारों ने करीब 12 मिलियन दस्तावेजों की जांच के बाद वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित खुलासा किया है. पंडोरा पेपर्स के जरिए मुख्य तौर पर यह खुलासा किया गया है कि कैसे दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोग अपनी संपत्ति छिपा रहे हैं.

टॅग्स :पंडोरा पेपर्सHarish Salveआयकर विभागप्रवर्तन निदेशालय
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