पहलगाम हमले ने पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण की नई लहर?, 2026 विधानसभा चुनाव में भुनाएंगे भाजपा और टीएमसी!, जानिए समीकरण

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 26, 2025 19:11 IST2025-04-26T19:10:19+5:302025-04-26T19:11:50+5:30

Pahalgam attack: पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और भाजपा नेताओं का एक समूह कार्गो टर्मिनल पर काफी भावुक नजर आया।

Pahalgam attack new wave polarization West Bengal Will BJP TMC capitalize 2026 assembly elections Know equation | पहलगाम हमले ने पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण की नई लहर?, 2026 विधानसभा चुनाव में भुनाएंगे भाजपा और टीएमसी!, जानिए समीकरण

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Highlightsइर्द-गिर्द चुनावी रणनीतियां देखने को मिल सकती हैं।धर्म को राजनीति के केंद्र में ला दिया है। अखाड़े में एक नये रण क्षेत्र में तब्दील हो गई हैं।

कोलकाताः पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पश्चिम बंगाल के तीन पर्यटकों और उधमपुर में शहीद हुए एक सैनिक के ताबूत कश्मीर से लाए जाने के बाद प्रदेश में न केवल शोक की लहर है, बल्कि इसने धर्म, राजनीति और भावनाओं को एक साथ उद्वेलित कर दिया तथा ध्रुवीकरण बढ़ाया है और इस तरह यह राज्य की अस्मिता की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। राज्य विधानसभा चुनाव (2026) के लिए साल भर से भी कम समय बचे होने के बीच, इन घटनाओं ने सियासी पारा चढ़ा दिया और इसके भावनात्मक रूप लेने की संभावना है, जिसके इर्द-गिर्द चुनावी रणनीतियां देखने को मिल सकती हैं।

कश्मीर में मंगलवार को बंगाल के पर्यटकों--बितान अधिकारी, समीर गुहा और मनीष रंजन मिश्रा से कथित तौर पर उनका धर्म पूछे जाने के बाद आतंकियों ने नृशंस तरीके से उनकी हत्या कर दी। इन हत्याओं के भयावह स्वरूप ने धर्म को राजनीति के केंद्र में ला दिया है। वहीं, राजनीतिक दल धर्म, राष्ट्रवाद और पीड़ित होने के माध्यम से कहानी गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

ये मौतें बंगाल के राजनीतिक अखाड़े में एक नये रण क्षेत्र में तब्दील हो गई हैं। चौथा ताबूत उधमपुर में एक अलग हमले में जान गंवाने वाले नादिया के सैनिक झोंटू अली शेख का है। इसने भावनात्मक और राजनीतिक विमर्श को और अधिक जटिल बना दिया है, क्योंकि शहादत और आतंकवाद को अब साम्प्रदायिक चश्मे से देखा जाने लगा है।

हमलों के बाद धार्मिक अस्मिता के आह्वान ने बंगाल की राजनीति में बदलाव का संकेत दिया है - जिसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि यह भाजपा के ‘‘विचारधारा को आगे बढ़ाने’’ और तृणमूल कांग्रेस की ‘‘तुष्टिकरण की राजनीति’’ के साथ जुड़ा हुआ है। ‘सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज’ के राजनीति विज्ञानी मैदुल इस्लाम ने बताया, ‘‘यह सिर्फ आतंक और त्रासदी की कहानी नहीं है।

यह मृतकों की धार्मिक पहचान के बारे में है। हम अब पहचान और राजनीतिक दांव-पेंच से आकार लेते परस्पर विरोधी विमर्श देख रहे हैं।’’ बुधवार शाम कोलकाता हवाई अड्डा पर जो कुछ देखने को मिला वह स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करती है। ताबूत लाये जाने पर, पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और भाजपा नेताओं का एक समूह कार्गो टर्मिनल पर काफी भावुक नजर आया।

अधिकारी ने कहा था, ‘‘वे मारे गए क्योंकि वे हिंदू थे।’’ उन्होंने बितान की पत्नी से घटना के बारे में बताने का आग्रह किया। हालांकि, हवाई अड्डे पर मौजूद फिरहाद हकीम और अरुप विश्वास सहित तृणमूल कांग्रेस नेता भाजपा नेताओं की इस गतिविधि से चकित नजर आए। विश्वास ने बितान के परिवार से मुलाकात की और हकीम एक अन्य मृतक के घर गए।

तृणमूल कांग्रेस ने झोंटु अली शेख के बलिदान को रेखांकित करने की भी कोशिश की और जोर देते हुए कहा कि शहादत का कोई धर्म नहीं होता। हालांकि, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता केया घोष ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस एक आतंकी हमले को सैनिक की मौत के समान बताने की कोशिश कर रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर में, मुर्शिदाबाद दंगों की तरह ही हिंदुओं से उनका धर्म पूछने के बाद इस्लामी आतंकवादियों ने मार डाला। शेख की मौत घात लगाकर किए गए हमले में हुई। दोनों एक जैसे नहीं हैं। इस्लामी आतंकवाद एक वास्तविकता है। जितनी जल्दी हम इसे स्वीकार कर लें, उतना ही बेहतर होगा।’’

इस टिप्पणी ने गहरे वैचारिक टकराव को सामने ला दिया। एक ओर जहां भाजपा धार्मिक पहचान के चश्मे से हत्याओं को दिखाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय बलिदान के व्यापक विचार पर जोर देकर उस विमर्श को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। हालांकि, तृणमूल के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने भाजपा के इस आरोप को खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से सुरक्षा और खुफिया तंत्र की विफलता है। भाजपा इस घटना का इस्तेमाल बिहार विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के लिए कर रही है।’’

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘‘बंगाल के हिंदू जानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के लिए जिहादियों और कट्टरपंथियों की मदद करती है।’’ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि पहलगाम हमले ने भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे को भावनात्मक रूप से मजबूती दी है - जो 2019 के पुलवामा हमले के बाद की भावना को प्रतिध्वनित करता है।

राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘पुलवामा में, शहादत राष्ट्रवाद में निहित एक एकीकृत शक्ति है। पहलगाम में, इसे धर्म के चश्मे से देखा जा रहा है, जो कहीं अधिक विभाजनकारी है।’’ इस बीच, माकपा और कांग्रेस, जो खुद को इस बढ़ते ध्रुवीकृत माहौल में राजनीतिक रूप से हाशिए पर पाती हैं, ने संयम बरतने की अपील की है। माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हमें शहादत को नफरत को तूल देने के लिए इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए।’’

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