मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ पैकेज की चिदंबरम ने खोली पोल, पैकेज जीडीपी का एक फीसदी से भी कम
By शीलेष शर्मा | Published: May 18, 2020 05:21 PM2020-05-18T17:21:58+5:302020-05-18T17:25:05+5:30
चिदंबरम ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि प्रोत्साहन पैकेज में 13 करोड़ गरीब परिवारों, प्रवासी मज़दूरों ,किसानों ,भूमिहीन कृषि कामगारों ,असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों जैसे तमाम वर्गों को छोड़ दिया गया है ,नतीजा इस घोषित पैकेज का कोई मतलब नहीं रह जाता।
नई दिल्ली: पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गयीं घोषणाओं को झूठा करार देते हुये साफ़ किया कि यह पैकेज मात्र जीडीपी का 0. 91 फ़ीसदी है न कि 10 फ़ीसदी। चिदंबरम ने दावा किया कि निर्मला सीतारमण जिसे राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज बता रहीं हैं वह वास्तव में उन बजट घोषणाओं का हिस्सा है जो वित्तमंत्री पहले ही संसद में कर चुकी हैं।
चिदंबरम ने ब्योरे बार वह आंकड़े पेश किये और दलील दी कि यह उनकी राय नहीं बल्कि घोषित बजट प्रावधानों पर दुनिया के अर्थशास्त्रियों से चर्चा के बाद यह साबित हुआ है कि राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज मात्र एक लाख 86 हज़ार 650 करोड़ का है जिसमें टैक्स रियातों के कारण होने वाला घाटा 7500 करोड़ ,प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज नकद हस्तांतरण 33 हज़ार करोड़ ,मुफ्त अनाज 60 हज़ार करोड़, मेडिकल एवं हेल्थ इंफ्रास्टक्चर 15 हज़ार करोड़ ,ईपीएफ सहायता 2800 करोड़, ईपीएफ की दरों में दी गयी रियातें 6750 करोड़ ,प्रवासी मज़दूरों को दो मास का मुफ्त खाद्यान 3500 करोड़ ,मुद्रा शिशु लोन 1500 करोड़ अगर सरकार पूरी सब्सिडी बैंकों को देती है ,केसीसी के माध्यम से अतिरिक्त क्रडिट 8000 करोड़ ,ऑपरेशन ग्रीन 500 करोड़ ,हर्बल कल्टीवेशन दो साल के लिये 4000 करोड़ , गैप फंडिंग 8100 करोड़ और मनरेगा के लिये दिये जाने वाली अतिरिक्त धनराशि 40 हज़ार करोड़ को शामिल किया गया है। इसके अलावा वित्तमंत्री जो दावे प्रोत्साहन पैकेज के नाम पर अख़बारों की सुर्ख़ियों में बने रहने के लिये करती रहीं वह बजट घोषणाओं का हिस्सा थीं,
चिदंबरम ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि प्रोत्साहन पैकेज में 13 करोड़ गरीब परिवारों , प्रवासी मज़दूरों ,किसानों ,भूमिहीन कृषि कामगारों ,असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों जैसे तमाम वर्गों को छोड़ दिया गया है, नतीजा इस घोषित पैकेज का कोई मतलब नहीं रह जाता ,उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि वह इस पैकेज का नये सिरे से विश्लेषण करें और वास्तव में जीडीपी के 10 फ़ीसदी का सही राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज घोषित करें। सरकार को चाहिये कि वाकई 10 लाख करोड़ का अतिरिक्त खर्च दिखाये जिससे सभी वर्गों को प्रोत्साहन पैकेज का सीधा लाभ मिल सके।