ऑक्सीजन आपूर्ति : उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय कर्मियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाई

By भाषा | Published: May 5, 2021 06:52 PM2021-05-05T18:52:57+5:302021-05-05T18:52:57+5:30

Oxygen supply: Supreme Court prohibits contempt proceedings against central personnel | ऑक्सीजन आपूर्ति : उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय कर्मियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाई

ऑक्सीजन आपूर्ति : उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय कर्मियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाई

नयी दिल्ली, पांच मई उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए 700 मीट्रिक टन चिकित्सीय ऑक्सीजन आपूर्ति करने के निर्देश का अनुपालन नहीं करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही पर बुधवार को रोक लगा दी।

न्यायालय ने कहा, ‘‘अधिकारियों को जेल में डालने से ऑक्सीजन नहीं आएगी और जिंदगियों को बचाने की कोशिश होनी चाहिए।’’

शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना का नोटिस जारी करने और 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिल्ली को आपूर्ति करने के आदेश का अनुपालन करने में असफल होने पर दो वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश को चुनौती दी गई थी।

अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाने के साथ न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने हालांकि, स्पष्ट किया यह उच्च न्यायालय को कोविड-19 प्रबंधन और उससे जुड़े मामलों की निगरानी से नहीं रोकती।

पीठ ने निर्देश दिया कि केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारी आज शाम को ऑनलाइन मिलें और राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन आपूर्ति के विभिन्न् पहलुओं पर चर्चा करें।

कोविड-19 की दूसरी लहर से महामारी को ‘अखिल भारतीय’ परिपाटी करार देते हुए पीठ ने कहा, ‘‘ अधिकारियों को जेल में डालने से शहर में ऑक्सीजन नहीं आयेगी। , हम सुनिश्चित करें की जिंदगियां बचाई जाए।’’

न्यायालय ने कहा,‘‘अंतत: अधिकारियों को जेल में डालने से और उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने से मदद नहीं मिलेगी। सहयोग की भावना होनी चाहिए क्योंकि लोगों की जान दांव पर है....कोई इस बात पर सवाल नहीं उठा रहा कि यह राष्ट्रीय महामारी है, लोग मर नहीं रहे हैं, केंद्र सरकार कुछ नहीं कर रही है।’’

करीब दो घंटे तक वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्य भाटी से कहा कि चार्ट के रूप में योजना प्रस्तुत करे जिसमें इंगित करे कि कैसे वे आदेश का पालन करते हुए दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करेंगे।

पीठ ने बृहस्पतिवार सुबह 10 बजकर 30 मिनट तक रिपोर्ट तलब करते हुए कहा कि उसमें ऑक्सीजन आपूर्ति के स्रोत, परिवहन का प्रावधान, और ‘जरूरी रणनीतिक व्यवस्था’ की जानकारी होनी चाहिए।

शीर्ष अदालत राज्यों की ऑक्सीजन मांग पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर भी असहमत दिखी जिसने दिल्ली की जरूरत 515 मीट्रिक टन ऑक्सीजन बताई है। इस समिति में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी शामिल हैं।

न्यायालय ने कहा कि समिति ने केवल अस्पतालों में ऑक्सीजन और आईसीयू से जुड़े बिस्तरों का ही संज्ञान लिया और उसने उन लोगों पर विचार नहीं किया जो अस्पतालों में भर्ती नहीं हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में महामारी की हालत बहुत गंभीर हैं। हमने दो मई को आदेश दिया था। आज पांच मई है। आप क्या करना चाहते हैं, हमें बताए कि आपने गत दिनों में कितनी आक्सीजन आवंटित की है।’’

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इसका वास्तविक समय के आधार पर मूल्यांकन करने की जरूरत है। नागरिकों पर सिलेंडर और ऑक्सीजन प्राप्त करने का भारी दबाव है। अगर आप ऑक्सीजन की मात्रा, आने का समय प्रदर्शित कर सकें तो कृपया कर उसे करे और उसका प्रचार करें।’’

सरकारी अधिकारी पीयूष गोयल और सुमित्रा द्वारा जिन्हें उच्च न्यायालय ने समन किया था शीर्ष अदालत ने दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में आ रही परेशानी के बारे में पूछने से पहले सांत्वना दिया।

पीठ ने कहा,‘‘सबसे पहले आप मन को शांत रखे। हमें पता है कि आप कर्तव्य से अधिक कर रहे हैं और अवमानना के भय से अधिकारियों को डराना उद्देश्य नहीं है, अवमानना कार्यवाही से मदद नहीं मिल सकती जबतक कि यह पूरी तरह जानबूझककर नहीं किया गया हो। ’’

गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोयल ने बाद में स्थिति से अवगत कराया और अदालत के सवालों के जवाब दिये और बताया कि ऑक्सीजन का उत्पादन समस्या नहीं है बल्कि कंटेनर की कमी मुख्य समस्या है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 30 अप्रैल के आदेश की समीक्षा नहीं करेगी और केंद्र को दिल्ली के लिए रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होगी।

न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि वह बृहस्पतिवार को योजना प्रस्तुत करे कि वह कैसे 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगी।

शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया कि निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों और डॉक्टरों की समिति बनाई जा सकती है जो दिल्ली में कोविड-19 से निपटने के तरीकों पर मंथन कर सकती है और इस दौरान मुंबई की स्थिति पर भी गौर किया जा सकता है।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘ यह विरोधात्मक वाद नहीं हैं , केन्द्र और दिल्ली की चुनी हुई सरकार कोविड-19 मरीजों की सेवा का यथासंभव प्रयास कर रही हैं।’’

इस पर पीठ ने सालिसीटर जनरल से सवाल किया, ‘‘ आप बताइए कि गत तीन दिन में आपने दिल्ली को कितनी ऑक्सीजन आवंटित की।

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