ओवैसी ने लोकसभा में कहा- "देश को 'बाबा मोदी' की जरूरत नहीं है, मैं राम का सम्मान और नाथूराम गोड़से से नफरत करता हूं"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 11, 2024 09:26 AM2024-02-11T09:26:05+5:302024-02-11T09:28:49+5:30
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि उनके मन में राम के प्रति सर्वोच्च सम्मान है, लेकिन वह महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से 'नफरत' करते हैं।
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीते शनिवार को कहा कि उनके मन में राम के प्रति सर्वोच्च सम्मान है, लेकिन वह महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से 'नफरत' करते हैं।
समाचार वेबसाइट हिदुस्तान टाइम्स के अनुसार लोकसभा में अयोध्या में बने राम मंदिर के निर्माण और उसके प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पर चर्चा के दौरान ओवैसी ने कहा, "मैं भगवान राम का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन नाथूराम गोडसे से नफरत करता हूं क्योंकि उन्होंने उस व्यक्ति की हत्या की थी, जिसके 22 जनवरी को आखिरी शब्द 'हे राम' थे।"
एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने अपने भाषण में भारत में 17 करोड़ मुसलमानों की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई और सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, "आज भारत के 17 करोड़ मुसलमान अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और देश को 'बाबा मोदी' की जरूरत नहीं है।"
उन्होंने केंद्र में सतात की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी से इस बात पर स्पष्टता की मांग करते हुए कहा कि क्या ये सरकार सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करती है या केवल एक विशिष्ट धार्मिक समूह की सेवा करती है।
ओवैसी ने पूछा, "क्या यह सरकार पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में किसी खास समुदाय या किसी खास धर्म को मानने वालों के लिए है या इस सरकार का अपना भी कोई धर्म है?"
अयोध्या घटना से निपटने के सरकार के तरीके और उसके बाद संसद में पेश किए गए प्रस्ताव की आलोचना करते हुए ओवैसी ने सवाल किया कि क्या यह एक धर्म की दूसरे पर विजय का प्रतीक है।
एआईएमआईएम प्रमुख ने पूछा, "अयोध्या में 22 जनवरी के आयोजन पर इस प्रस्ताव के माध्यम से क्या यह सरकार यह संदेश दे रही है कि यह एक धर्म की दूसरे पर विजय है? वे देश के 17 करोड़ मुसलमानों को क्या बड़ा संदेश दे रहे हैं?"
संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन शनिवार को राम मंदिर निर्माण मुख्य मुद्दा रहा और दोनों सदनों में इसकी प्रतिष्ठा समारोह पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस पर एक सराहनीय प्रस्ताव अपनाने से आने वाली पीढ़ियों को गर्व महसूस करने की संवैधानिक ताकत मिलेगी।