विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की, नए कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया

By भाषा | Updated: December 9, 2020 21:15 IST2020-12-09T21:15:49+5:302020-12-09T21:15:49+5:30

Opposition leaders call on President, requesting repeal of new agricultural laws | विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की, नए कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया

विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की, नए कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर केंद्र के नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन के बीच बुधवार को राहुल गांधी, शरद पवार समेत पांच विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।

विपक्षी नेताओं ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का अनुरोध किया।

विपक्षी दलों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, और डीएमके नेता टीकेएस इलंगोवान शामिल थे।

विपक्षी नेताओं द्वारा राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है, '' भारतीय संविधान का संरक्षक होने के नाते, आपसे हम अनुरोध करते हैं कि अपनी सरकार को हठ छोड़ने और भारत के अन्नदाता की ओर से उठाई गई मांगों को स्वीकार करने के लिए मनाएं।''

ज्ञापन में कहा गया, ''संसद में बिना ठोस चर्चा और मतदान के अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए नए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं और इनके कारण भारतीय कृषि एवं हमारे किसान बर्बाद हो जाएंगे। ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के उन्मूलन और भारतीय कृषि और हमारे बाजार को कृषि-कारोबार करने वाले बहुराष्ट्रीय और घरेलू कारपोरेट के पास गिरवी रखने का आधार रखेंगे।''

राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में यह भी कहा गया कि कई राज्यों में सरकार चला रहे दलों समेत 20 से अधिक विभिन्न पार्टियों ने किसानों के जारी ऐतिहासिक आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाई है और कृषि कानूनों एवं विद्युत संशोधन विधेयक को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का पूर्ण समर्थन किया था।

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, '' हमने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें तीन कृषि कानूनों के संबंध में हमारे विचारों से अवगत कराया। हमने इन्हें निरस्त किए जाने का अनुरोध किया। हमने राष्ट्रपति को बताया कि इन कानूनों को वापस लिया जाना बेहद महत्वपूर्ण है।''

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से ये कानून संसद में पारित किए गए उससे हमें लगता है कि यह किसानों का अपमान है, इसलिए वे ठंड के मौसम में भी प्रदर्शन कर रहे हैं।''

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि नए कानूनों का मकसद कृषि क्षेत्र को ''प्रधानमंत्री के मित्रों'' को सौंपना है लेकिन किसान भयभीत नहीं हैं और पीछे नहीं हटेंगे।

उन्होंने कहा कि किसान अपना शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे।

बाद में राहुल गांधी ने ट्वीट किया, '' देश का किसान समझ गया है कि मोदी सरकार ने उन्हें धोखा दिया है और अब वह पीछे नहीं हटने वाला क्योंकि वह जानता है कि अगर आज समझौता कर लिया तो उसका भविष्य नहीं बचेगा। किसान हिंदुस्तान है। हम सब किसान के साथ हैं, डटे रहिए।''

उन्होंने कहा, '' मैं किसानों से कहना चाहता हूं कि अगर वे अब खड़े नहीं हुए तो वे भविष्य में कभी खड़े होने में समर्थ नहीं होंगे।''

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति से अुनरोध किया कि ये कृषि कानून निरस्त किए जाने चाहिए क्योंकि इन पर ना ही संसद की प्रवर समिति में चर्चा की गई और ना ही अन्य पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया गया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद में विपक्षी नेताओं द्वारा उठाए गए एक भी सुझाव को स्वीकार नहीं किया और ये सभी विधेयक जल्दबाजी में पारित कर दिए गए।

पवार ने कहा कि नए कृषि कानूनों में एमएसपी का जिक्र नहीं है इसलिए किसान परेशान हैं।

येचुरी ने कहा, '' हमने राष्ट्रपति को बताया कि तीन कृषि कानून अलोकतांत्रिक तरीके से संसद में पारित किए गए और कानूनों को वापस लिए जाने का हमने अनुरोध किया।''

उन्होंने कहा कि किसानों के व्यापक आंदोलन के मद्देनजर सरकार को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए।

विपक्षी नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री इन कानूनों को किसानों के हित में करार दे रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि अगर ये कानून किसानों के हित में हैं तो वे ठंड में प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?

राजा ने कहा कि ये तीन कानून किसानों एवं कृषि श्रमिकों को ''कारपोरेट की दया'' पर ले जाएंगे।

उन्होंने कहा, '' यह व्यापक तौर पर देशिहत में भी नहीं हैं। यह केवल पिछले दो सप्ताह से विरोध कर रहे किसानों को ही प्रभावित नहीं कर रहे बल्कि खेतीहर मजदूर के भी खिलाफ हैं।''

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल इस पर ''मूकदर्शक'' बने नहीं रह सकते।

वहीं, इलांगोवन ने कहा कि सरकार ने संसद में एमएसपी को लेकर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने का वादा किया था लेकिन '' इन कानूनों ने उन वादों को तोड़ दिया।''

कोविड-19 परिस्थितियों के चलते विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में केवल पांच सदस्य ही शामिल रहे।

सितंबर में बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। सरकार का कहना है कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था और मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिससे वे कॉरपोरेट की दया पर निर्भर रह जाएंगे।

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Web Title: Opposition leaders call on President, requesting repeal of new agricultural laws

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