विपक्ष ने अर्थव्यवस्था की दशा को लेकर सरकार को घेरा, रोजगार और कृषि क्षेत्र की अनदेखी का लगाया आरोप

By भाषा | Published: February 10, 2020 10:10 PM2020-02-10T22:10:55+5:302020-02-10T22:10:55+5:30

भाजपा के विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि वार्षिक बजट होने के बावजूद इसमें पूरे दशक का सपना सामने रखा गया है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकार के मुकाबले विकास कार्यो को अमल में लाने में फर्क के कारण योजनाओं पर अमल की गति में तेजी आई है।

opposition accuses government of neglecting employment and agriculture sector current state of economy | विपक्ष ने अर्थव्यवस्था की दशा को लेकर सरकार को घेरा, रोजगार और कृषि क्षेत्र की अनदेखी का लगाया आरोप

नोटबंदी को बड़ी भूल करार देते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार अपनी गलतियां मानने से इनकार कर देती है।

Highlightsसमाजवादी पार्टी के रविप्रकाश वर्मा ने कहा कि सरकार ने 30 लाख 42 हजार करोड़ रूपये से अधिक का बजट पेश किया है किंतु इसमें अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए समुचित कदम नहीं उठाये गये हैं।शिवसेना के अनिल देसाई ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है और ऐसे में सरकार को मांग सृजित करने के लिए ऐसे कार्यक्रम शुरू करना चाहिए जिससे लोगों के हाथ में धन आये।

राज्यसभा में विपक्ष ने अर्थव्यवस्था की वर्तमान दशा के लिए सरकार को आड़े हाथ लेते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि आम बजट में रोजगार के अवसर और खपत बढ़ाने तथा कृषि क्षेत्र के प्रोत्साहन के लिए समुचित कदम नहीं उठाये गये। विपक्ष ने सरकार को आगाह किया कि देश के सामने अर्थसंकट बढ़ रहा है। अर्थव्यवस्था के बारे में विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया कि बजट में कृषि एवं किसानों, युवाओं, महिलाओं सहित समाज के सभी वर्गों के लिए विभिन्न घोषणाएं करके ‘‘न्यू इंडिया’’ के स्वप्न को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गये हैं। 

उच्च सदन में 2020-21 के लिए केंद्रीय बजट पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने सरकार को ‘‘अक्षम डाक्टर’’ बताया और कहा कि देश में भय और अनिश्चितता का माहौल है, ऐसे में कोई निवेश क्यों करेगा। नोटबंदी को बड़ी भूल करार देते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार अपनी गलतियां मानने से इनकार कर देती है। उन्होंने कहा, ‘‘जल्दबाजी में, बिना किसी तैयारी के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को कार्यान्वित कर देना दूसरी बड़ी भूल थी। इसकी वजह से आज अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने वित्त मंत्री का पूरा बजट भाषण सुना था जो 116 मिनट तक चला था। इस बात की खुशी हुई कि उन्होंने पूरे बजट भाषण में एक बार भी यह नहीं कहा कि अच्छे दिन आने वाले हैं। वह खोखले वादे भूल गईं, यह अच्छा रहा।’’ चिदंबरम ने कहा कि सरकार लगातार नकारते रही है लेकिन सच तो यह है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत बुरी है। उन्होंने कहा कि पिछली छह तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर लगातार कम हुई है। ‘‘पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।’’ उन्होंने कहा कि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और खपत लगातार कम हो रही है जिसकी वजह से देश के सामने अर्थ संकट बढ़ रहा है। 

उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी, कृषि, पीएम किसान सम्मान योजना, ग्रामीण सड़कों, मध्याह्न भोजन योजना, आईसीडीएस, कौशल विकास, आयुष्मान भारत, शहरी विकास से लेकर मनरेगा तक, सभी के लिए आवंटन घटाया गया है। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि बजट में निगमित कर में की गई कटौती और नोटबंदी के कुप्रभावों का जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार, प्रचुर खाद्यान्न भंडार और मुद्रास्फीति कम होने के बावजूद निवेश की दर में कमी आ रही है। 

उन्होंने कहा कि साथ ही देश में घरेलू बचत की दर में भी कमी आ रही है। उन्होंने बजट को आकांक्षी बजट बताया और कहा कि यह कुछ मान्यताओं पर आधारित है और उसे यथार्थ में तब्दील करते समय आने वाली वास्तविक दिक्कतों पर गहराई से गौर नहीं किया गया है। तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुइयां ने भी कहा कि कृषि, रोजगार और उद्योग सहित सभी क्षेत्रों में व्याप्त मंदी से उबरने का कोई भी उपाय बजट में नहीं बताया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘देश को उम्मीद थी कि वित्त मंत्री उद्योग, व्यापार, खनन, कृषि, रोजगार और भवन निर्माण सहित सभी क्षेत्रों में छायी निराशा से बाहर निकालने का रास्ता बतायेंगी। लेकिन उनके सबसे लंबे बजट भाषण ने लोगों को निराश किया।’’ 

भाजपा के विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि वार्षिक बजट होने के बावजूद इसमें पूरे दशक का सपना सामने रखा गया है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकार के मुकाबले विकास कार्यो को अमल में लाने में फर्क के कारण योजनाओं पर अमल की गति में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम टैंकर परिचालन के लिए एससी-एसटी वर्ग के लोगों को वरीयता देने के फैसले के सकारात्मक परिणाम आये हैं और इस वर्ग में नये उद्यमी सामने आये हैं। जदयू के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने बजट को विकास उन्मुखी करार देते हुए इसके विभिन्न प्रस्तावों की सराहना की। 

उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट की यह कहते हुए आलोचना की कि इसमें किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान बजट में किसान सम्मान निधि के लिए 54 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं जबकि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इसके लिए एक भी रुपया नहीं दिया। उन्होंने कहा कि चिदंबरम ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘‘मास (जनता)’’ नहीं ‘‘क्लास (वर्ग विशेष)’’ का है। उन्होंने कहा कि बजट में 1.06 लाख करोड़ रुपये कृषि क्षेत्र को दिए गए हैं तो क्या यह किसी ‘‘क्लास’’ को दिए गए हैं? 

समाजवादी पार्टी के रविप्रकाश वर्मा ने कहा कि सरकार ने 30 लाख 42 हजार करोड़ रूपये से अधिक का बजट पेश किया है किंतु इसमें अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए समुचित कदम नहीं उठाये गये हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मौजूदा स्थिति को ‘‘सुस्ती’’ कहकर इसकी गंभीरता को कम नहीं कर सकती क्योंकि वर्तमान स्थिति मंदी की है। वर्मा ने कहा कि सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि मौजूदा स्थिति से कैसे निकला जाए? 

उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों के लोगों से इस बारे में राय लेनी चाहिए। शिवसेना के अनिल देसाई ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है और ऐसे में सरकार को मांग सृजित करने के लिए ऐसे कार्यक्रम शुरू करना चाहिए जिससे लोगों के हाथ में धन आये।

Web Title: opposition accuses government of neglecting employment and agriculture sector current state of economy

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