नुपूर शर्मा विवाद के बाद बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं को दिए निर्देश, कहा- किसी भी धर्म के खिलाफ न बोलें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 7, 2022 08:08 PM2022-06-07T20:08:42+5:302022-06-07T20:13:20+5:30
भाजपा से जुड़े सूत्र के मुताबिक, नूपुर शर्मा विवाद के बाद पार्टी ने यह भी तय किया है कि टीवी डिबेट में अधिकारिक प्रवक्ता और पैनलिस्ट पार्टी का पक्ष रखेंगे। इन प्रवक्ताओं और पैनलिस्ट को मीडिया सेल द्वारा असाइन किया जाएगा।
नई दिल्ली: भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा द्वारा पैंगबर मोहम्मद पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रवक्ताओं के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी है। मंगलवार को भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं को नसीहत देते हुए कहा है कि वे किसी भी धर्म के खिलाफ न बोलें और न ही किसी भी धर्म के पूजनीय प्रतीकों पर कोई सवाल खड़े करें।
टीवी डिबेट में अधिकृत प्रवक्ता ही लेंगे भाग
भाजपा से जुड़े सूत्र के मुताबिक, नूपुर शर्मा विवाद के बाद पार्टी ने यह भी तय किया है कि टीवी डिबेट में अधिकृत प्रवक्ता और पैनलिस्ट पार्टी का पक्ष रखेंगे। इन प्रवक्ताओं और पैनलिस्ट को मीडिया सेल द्वारा असाइन किया जाएगा।
बहस के दौरान प्रवक्ताओं को भाषा को संयमित रखना होगा
गरमागरम बहस के दौरान भाजपा के पैनलिस्टों को सीमा पार करने से मना किया गया है। सूत्रों का कहना है कि उनसे अपनी भाषा को संयमित रखने और उत्तेजित न होने का आग्रह किया गया है। भाजपा से जुड़े सूत्र ने कहा कि बिना उकसावे के वे पार्टी की विचारधारा या आदर्शों का उल्लंघन नहीं कर सकते।
पार्टी एजेंडे के दायरे में रहकर करनी होगी बहस
भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं को आदेश दिया है कि किसी भी चैनल पर आने से पहले पहले टीवी पर चर्चा के विषय की जांच करें, उसकी तैयारी करें और उस पर पार्टी की लाइन का पता करें। सूत्रों ने कहा कि पार्टी के प्रवक्ता और पैनलिस्ट को एजेंडे में रहना चाहिए। उन्हें किसी जाल में नहीं फंसना चाहिए।" दरअसल, भाजपा ये चाहती है कि उसके प्रवक्ता सरकार के समाज कल्याण कार्यों पर ध्यान दें।
नुपूर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से किया जा चुका है निलंबित
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निलंबित कर दिया। पैगंबर मोहम्मद पर दोनों नेताओं की टिप्पणियों से बीजेपी और केंद्र सरकार को चौतरफा घेरा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम से कम 15 देशों से भारत को आलोचना का शिकार होना पड़ा है।