स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाने के कारण छात्रा का एक वर्ष बर्बाद, स्कूल पर लगा 50 हजार रुपये का जुर्माना

By भाषा | Published: October 10, 2019 08:21 PM2019-10-10T20:21:43+5:302019-10-10T20:21:43+5:30

प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाने के कारण छात्रा का एक वर्ष बर्बाद हो गया। पीठासीन सदस्य एस एम कांतिकर की अध्यक्षता वाले शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को बरकरार रखा जिसने स्कूल पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।

One year of student wasted due to non-issue of transfer certificate, school fined Rs 50,000 | स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाने के कारण छात्रा का एक वर्ष बर्बाद, स्कूल पर लगा 50 हजार रुपये का जुर्माना

आयोग ने कहा कि कौर के शैक्षणिक प्रदर्शन का स्कूल स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने से कोई लेना-देना नहीं है।

Highlightsनौवीं कक्षा की छात्रा रवलीन कौर ने स्थानांतरण प्रमाण पत्र के लिए 2005 में स्कूल से संपर्क किया था।उसे समय पर नहीं दिया गया और स्कूल ने कहा कि वह पढ़ाई में खराब है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने नौवीं कक्षा की एक छात्रा को स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी नहीं करने के लिए हिमाचल प्रदेश के दून वैली इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की खिंचाई करते हुए उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाने के कारण छात्रा का एक वर्ष बर्बाद हो गया। पीठासीन सदस्य एस एम कांतिकर की अध्यक्षता वाले शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को बरकरार रखा जिसने स्कूल पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।

नौवीं कक्षा की छात्रा रवलीन कौर ने स्थानांतरण प्रमाण पत्र के लिए 2005 में स्कूल से संपर्क किया था जिसे उसे समय पर नहीं दिया गया और स्कूल ने कहा कि वह पढ़ाई में खराब है। आयोग ने कहा कि कौर के शैक्षणिक प्रदर्शन का स्कूल स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने से कोई लेना-देना नहीं है और स्थानांतरण प्रमाण पत्र में उसे ‘‘अच्छी छात्रा’’ बताने का कोई मामला नहीं बनता है।

इसने कहा कि स्कूल जवाबदेही के साथ काम कर सकता था लेकिन इसने ‘‘अनावश्यक’’ और ‘‘अवांछनीय’’ तरीके से काम किया जिसके कारण कौर का ‘‘एक बहुमूल्य शैक्षणिक वर्ष’’ बर्बाद हो गया। एनसीडीआरसी ने कहा, ‘‘स्कूल अधिकारी तथ्यात्मक रूप से सही स्कूल स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने में मनमाने या ढीले-ढाले तरीके से काम नहीं कर सकते।

इस तरह के प्रमाण पत्र छात्र के भविष्य से जुड़े होते हैं और इसे पूरी जवाबदेही के साथ और यथाशीघ्र जारी किया जाना चाहिए।’’ एनसीडीआरसी ने राज्य आयोग के आदेश को बरकरार रखते हुए स्कूल से कानूनी खर्च के साथ ही 50 हजार रुपये का भुगतान करने के लिए कहा और स्कूल की ‘‘सेवाओं में खामी’’ के लिए कड़ी टिप्पणियां कीं। जिला उपभोक्ता मंच ने 2008 में छात्रा की अपील खारिज कर दी थी लेकिन राज्य आयोग ने पांच मई 2010 को उसकी अपील मंजूर कर ली थी। 

Web Title: One year of student wasted due to non-issue of transfer certificate, school fined Rs 50,000

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