One Nation-One Election: केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक राष्ट्र, एक चुनाव बिल को पेश कर दिया है। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के तमाम मंत्री और सांसद संसद में मौजूद रहे लेकिन कुछ सांसद इस दौरान गायब रहे। अब खबर है कि भाजपा ने अपने उन सांसदों को नोटिस भेजा है जो वन नेशन वन इलेक्शन बिल की पेशी के दौरान मौजूद नहीं थे।
दरअसल, 18 दिसंबर मंगलवार को यह बिल पेश किया गया। बड़े नामों में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गिरिराज सिंह शामिल हैं।
पार्टी द्वारा अपने लोकसभा सदस्यों को पहले जारी किए गए तीन लाइन व्हिप की अवहेलना करने वाले सांसदों को नोटिस भेजे जाएंगे, जिसमें उन्हें संसद के निचले सदन में विधेयकों को पेश करने से न चूकने का निर्देश दिया गया था। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि उपस्थित नहीं होने वालों ने पार्टी को पूर्व व्यस्तता या किसी अन्य कारण से अपनी अनुपस्थिति के बारे में सूचित किया था या नहीं, समाचार एजेंसी एएनआई ने पार्टी के सूत्रों के हवाले से बताया।
संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024' और 'केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024', जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव का प्रस्ताव करते हैं, मंगलवार को निचले सदन में पेश किए गए। इन विधेयकों को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में पेश किया।
विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया और मत विभाजन के लिए दबाव बनाया। मत विभाजन में 269 सदस्यों ने विधेयक पेश किए जाने के पक्ष में और 196 ने इसके खिलाफ मतदान किया। अब विधेयकों को आगे की चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया गया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसे विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए।
मंगलवार को लोकसभा में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पेश किए जाने के दौरान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीआर पाटिल समेत करीब 20 भाजपा सांसद अनुपस्थित रहे, एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया। शांतनु ठाकुर, जगदंबिका पाल, बीवाई राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जगन्नाथ सरकार, जयंत कुमार रॉय, वी सोमन्ना, चिंतामणि महाराज भी सदन में मौजूद नहीं रहे। हालांकि, जहां तक विधेयक पेश करने का सवाल है, इससे पार्टी को कोई खतरा नहीं हुआ, लेकिन भाजपा के पूर्ण बहुमत के बिना मत विभाजन ने विपक्ष को चर्चा का विषय जरूर दे दिया।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि सरकार के पास बड़ी संख्या है, लेकिन विधेयकों को पारित करने के लिए उसके पास आवश्यक संख्या नहीं है। उन्होंने सरकार से कहा कि वह इस पर अड़ियल रवैया न अपनाए।
हालांकि विधेयक पेश करने के लिए उपस्थित सदस्यों का साधारण बहुमत ही पर्याप्त है, लेकिन ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ योजना के तहत पेश किए गए संवैधानिक संशोधनों को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।