अस्पताल ले जाते हुए प्रसूता का रक्त जमीन पर गिरा, गांव के शुद्धिकरण से इंकार पर दंपति का बहिष्कार

By भाषा | Updated: November 3, 2021 21:50 IST2021-11-03T21:50:08+5:302021-11-03T21:50:08+5:30

On the way to the hospital, the blood of the maternity fell on the ground, the couple boycotted the village's refusal to purify | अस्पताल ले जाते हुए प्रसूता का रक्त जमीन पर गिरा, गांव के शुद्धिकरण से इंकार पर दंपति का बहिष्कार

अस्पताल ले जाते हुए प्रसूता का रक्त जमीन पर गिरा, गांव के शुद्धिकरण से इंकार पर दंपति का बहिष्कार

क्योंझर (ओडिशा), तीन नवंबर ओडिशा के क्योंझर जिले में जन्म के तुरंत बाद एक नवजात और उसकी मां को अस्पताल ले जाने के दौरान प्रसूता का रक्त जमीन पर गिर जाने के बाद ग्रामीणों ने ‘ग्राम शुद्धिकरण’ के लिए पूजा सामग्री देने से इंकार पर आदिवासी दंपति का बहिष्कार कर दिया।

पूर्णापानी गांव के गुनाराम मुर्मू ने 29 अक्टूबर को अपनी गर्भवती पत्नी को उपसंभागीय अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस मंगायी थी लेकिन जबतक एंबुलेंस पहुंची, तबतक महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया।

मुर्मू (22) ने बताया कि ग्राम प्रधान एवं अन्य ने आदिवासी मान्यता के अनुसार गांव को किसी भी अपशकुन से बचाने के लिए ग्राम देवता के लिए पूजा करने के वास्ते उसे तीन मुर्गे, हांडिया (एक प्रकार की स्थानीय शराब) एवं अन्य चीजें देने को कहा।

उसने कहा, ‘‘ मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं इस प्रथा को अंधविश्वास मानता हूं। ’’

उसने दावा किया कि गांव वाले उसकी गर्भवती पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने के विरूद्ध थे क्योंकि वे इसे अपनी पारंपरिक रीति-रिवाजों के खिलाफ बताते हैं।

मुर्मू ने आरोप लगाया कि चूंकि उसने मांग पूरी करने से इनकार कर दिया , तब ग्रामीणों ने एक बैठक कर समुदाय के नियमों के विरूद्ध जाने को लेकर उसके परिवार का बहिष्कार करने का फैसला किया , फिर उसने (मुर्मू ने) एक नवंबर को घासीपुरा थाने में शिकायत दर्ज करायी।

इस मामले की जांच कर चुके घासीपुरा थाने के उपनिरीक्षक मानस रंजन पांडा ने कहा कि उन्होंने दोनों पक्षों से बातचीत करने के बाद मामले का निस्तारण कर दिया है।

गांव के निवासी शिवशंकर मरांडी ने कहा, ‘‘ आदिवासी परंपरा के अनुसार हमने गुनाराम को पूजा करने के वास्ते कुछ चीजें देने को कहा। उसने देने से इनकार कर दिया और पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी। ’’

इस बीच, जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि लोग धीरे धीरे संस्थानात्मक प्रसव का फायदा समझ रहे हैं और इसलिए उसका अनुपात 2015-16 के 72.2 फीसद से बढ़कर 2020-21 में 98 फीसद हो गया है ।

अतिरिक्त जिला चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डॉँ प्रनातिनी नायक ने कहा, ‘‘ आदिवासी समुदायों की कई महिलाएं अब संस्थानात्मक प्रसव के लिए आगे आ रही हैं।

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Web Title: On the way to the hospital, the blood of the maternity fell on the ground, the couple boycotted the village's refusal to purify

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