रणबीर सिंह के न्यूड फोटोशूट पर सपा नेता अबू आजमी ने कहा, "नंगी तस्वीरें सार्वजनिक करना आज़ादी है तो बुर्का पहनना क्यों नहीं?"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 23, 2022 04:18 PM2022-07-23T16:18:05+5:302022-07-23T16:28:27+5:30
अबू आज़मी ने रणवीर सिंह के न्यूड फोटोशूट पर व्यंग्य करते हुए कहा कि हमारे समाज में 'कला' के आजादी के नाम पर न्यूडिटी को स्वीकार किया जा सकता है लेकिन इस्लामी मान्यता के आधार पर मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहनने की मांग करें तो वह स्वीकार्य नहीं है।
मुंबई: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद अबू आजमी ने एक्टर रणवीर सिंह के न्यूड फोटोशूट को मुद्दा बनाते हुए इसे बुर्का विवाद से जोड़ने का प्रयास किया है। सपा नेता अबू आज़मी ने रणवीर सिंह के न्यूड फोटोशूट पर व्यंग्य करते हुए प्रश्न खड़ा किया कि हमारे समाज में 'कला' के आजादी के नाम पर न्यूडिटी को स्वीकार किया जा सकता है लेकिन अगर इस्लाम की मान्यता के आधार पर मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहनने की मांग करें तो वह स्वीकार्य नहीं है और उनकी मांग को भेदभावपूर्ण मानते हुए दमन किया जाता है।
इस मामले में अबू आजमी ने ट्वीट करते हुए कहा, "नंगे जिस्म की नुमाइश करना आर्ट व आज़ादी कहलाता है तो एक तरफ संस्कृति के मुताबिक लड़की अपनी मर्ज़ी से बदन को हिजाब से ढकना चाहे तो वह उत्पीड़न व धार्मिक भेदभाव कहलाता है। हमें आखिर कैसा समाज चाहिए? नंगी तस्वीरें सार्वजनिक करना आज़ादी है तो हिजाब पहनना क्यों नहीं?"
नंगे जिस्म की नुमाइश करना आर्ट व आज़ादी कहलाता है तो एक तरफ संस्कृति के मुताबिक लड़की अपनी मर्ज़ी से बदन को हिजाब से ढकना चाहे तो वह उत्पीड़न व धार्मिक भेदभाव कहलाता है।
— Abu Asim Azmi (@abuasimazmi) July 22, 2022
हमें आखिर कैसा समाज चाहिए?
नंगी तस्वीरें सार्वजनिक करना आज़ादी है तो हिजाब पहनना क्यों नहीं?#RanveerSinghpic.twitter.com/PSyTrI9Y2L
समाचार वेबसाइट 'हिंदुस्तान टाइम्स' के मुताबिक दरअसल अबू आजमी ने इस मामले को साल 2021 में कर्नाटक में हुए बुर्का विवाद से जोड़ने की कोशिश की, जहां के उडुपी जिले के प्री-कॉलेज में मैनेजमेंट ने कुछ मुस्लिम लड़कियों को बुर्का पहनकर कक्षाओं में आने से रोक लगा दी थी।
जिसके बाद यह विवाद पूरे कर्नाटक में फैले गया था। मामले में एक्शन लेते हुए वहां की भाजपा सरकार ने स्कूल-कॉलेजों के परिसरों में छात्रों को धार्मिक ड्रेस पहनने से रोक दिया गया। जिसके बाद कुछ मुस्लिम लड़कियों ने राज्य सरकार के फैसले को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी।
मामले में सुनवाई करते हुए 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार के आदेश को सही ठहराते हुए इसपर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। मौजूदा समय में यह विवाद सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है।