हाजीपुर लोकसभा सीटः इस बार रामविलास पासवान मैदान में नहीं, छोटे भाई पशुपति कुमार पारस के सामने आरजेडी के शिवचंद्र राम
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 30, 2019 02:23 PM2019-04-30T14:23:29+5:302019-04-30T14:23:29+5:30
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से 8 बार चुनाव जीत चुके हैं। पहली बार है, जब रामविलास पासवान चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस बार पासवान के छोटे भाई और बिहार सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस चुनावी मैदान में है।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवानहाजीपुर लोकसभा सीट से 8 बार चुनाव जीत चुके हैं। पहली बार है, जब रामविलास पासवान चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस बार पासवान के छोटे भाई और बिहार सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस चुनावी मैदान में है। हाजीपुर लोकसभा सीट से पासवान रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीत चुके हैं।
इस बार यह देखना है कि रामविलास पासवान के चुनाव न लड़ने का असर उनके भाई पर कितना पड़ता है। एक तरह से देखा जाए तो हाजीपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री और लोजपा (राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी) प्रमुख रामविलास पासवान के परिवार का कब्जा है। हाजीपुर लोकसभा सीट पर 5वें चरण के तहत 6 मई को मतदान है।
हाजीपुर में भारतीय रेल के पूर्व-मध्य रेलवे का मुख्यालय है। गंगा और गंडक नदी के तट पर बसे हाजीपुर शहर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए यह पूरे भारत में मशहूर है।
हाजीपुर में कुल मतदाता 18,18, 078 लाख
हाजीपुर सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए के पशुपति नाथ पारस और महागठबंधन के शिवचंद्र राम के बीच है। शिवचंद्र राम हाजीपुर के राजपाकड़ से विधायक हैं। हाजीपुर सुरक्षित क्षेत्र से 15 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। हाजीपुर में कुल मतदाता 18,18, 078 लाख हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 9,78,887, महिला वोटर 8,39,132, थर्ड जेंडर 59 हैं।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सुरक्षित्र सीट से लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने जीत हासिल की थी। पासवान ने कांग्रेस के प्रत्याशी संजीव कुमार टोनी को लगभग 2 लाख से अधिक मतों से हराया था। जदयू के रामसुंदर दास तीसरे स्थान पर थे।
अपने भाई के बारे में रामविलास पासवान ने कहा कि क्योंकि मैं यहां से चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, लेकिन पशुपति मुझसे अधिक वोट से जीतेंगे और विकास के लिए काम भी करेंगे।
रामविलास पासवान के परिवार का यहां से दबदबा
हाजीपुर सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ। 1977 में हाजीपुर सीट को सुरक्षित घोषित कर दिया गया। तब से रामविलास पासवान के परिवार का यहां से दबदबा है। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर पर सवार रामविलास पासवान ने कांग्रेस के किले में सेंध लगाई और रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की।
देश में सर्वाधिक 4,69,007 वोट पाकर जीत दर्ज करते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया था। 1989 में पासवान ने कांग्रेस के महावीर पासवान को 5 लाख 4 हजार 448 वोटों से न सिर्फ हराया बल्कि अपने रिकॉर्ड को बेहतर किया।
इस सीट पर अबतक 15 बार संसदीय चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को 4 बार, कांग्रेस (गठबंधन) को 1 बार, जनता पार्टी को 2 बार, जनता दल को 4 बार, जेडीयू को 2 बार और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को 2 बार जीत मिली है। इस सीट पर बीजेपी और आरजेडी एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाई है।
हाजीपुर सीट पर पारस और राम नए प्रत्याशी
हाजीपुर में हिंदुओं की आबादी सबसे अधिक है। मुसलमान 9.5 प्रतिशत हैं। जातीय आधार पर हाजीपुर में यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, पासवान और रविदास की संख्या सर्वाधिक है। अति पिछड़ों की संख्या ठीक है। खास बात यह है कि दोनों बड़े प्रत्याशी नए हैं।
साक्षरता दर लगभग 66 प्रतिशत है। राजनीतिक करियर में केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान का 40 साल इसी संसदीय क्षेत्र की नुमाइंदगी करते गुजरा है। हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं।