ममता बनर्जी की सौरव गांगुली को ICC चुनाव लड़ने की अपील पर सुवेंदु अधिकारी ने साधा निशाना, शाहरुख खान को लेकर कही ये बात
By मनाली रस्तोगी | Published: October 17, 2022 05:57 PM2022-10-17T17:57:41+5:302022-10-17T17:58:56+5:30
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि सौरव गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए और वह इस संबंध में मोदी को पत्र लिखेंगी।
कोलकाता: बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को आईसीसी (अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) चुनाव लड़ने की उनकी अपील पर निशाना साधा। अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, "अगर ममता बनर्जी गांगुली की भूमिका को आगे बढ़ाना चाहती थीं तो उन्हें उनको बंगाल का ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहिए था।"
उन्होंने आगे कहा, "शाहरुख खान को हटाकर सौरव गांगुली को पश्चिम बंगाल का ब्रांड एंबेसडर बनाएं। अगर ममता बनर्जी गांगुली की भूमिका को आगे बढ़ाना चाहती थीं, तो उन्हें उनको राज्य का ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहिए था। खेल में राजनीति मत करें। पीएम मोदी इन चीजों से दूर रहते हैं।" बता दें कि बनर्जी ने कहा था कि गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए और वह इस संबंध में मोदी को पत्र लिखेंगी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार, बीसीसीआई अध्यक्ष एक लोकप्रिय व्यक्ति हैं, इसलिए उन्हें अवसर से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि क्रिकेट और खेल के लिए निर्णय लेने का अनुरोध किया। एएनआई ने बनर्जी के हवाले से कहा, "मैं पीएम से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करती हूं कि सौरव गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए।"
उन्होंने आगे कहा, "वह एक लोकप्रिय व्यक्ति हैं, इसलिए उन्हें वंचित किया जा रहा है। भारत सरकार से अनुरोध है कि राजनीतिक रूप से निर्णय न लें, क्रिकेट, खेल के लिए वह राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं।" इस बीच पीटीआई बीसीसीआई के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि गांगुली बीसीसीआई प्रमुख के रूप में बने रहने के इच्छुक थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि बोर्ड अध्यक्ष को दूसरा कार्यकाल देने का कोई रिवाज नहीं है।
अधिकारी के हवाले से पीटीआई ने कहा, "सौरव गांगुली को आईपीएल की अध्यक्षता की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने विनम्रता से इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। उनका तर्क था कि वह उसी संस्था का नेतृत्व करने के बाद बीसीसीआई में उप-समिति के प्रमुख बनने को स्वीकार नहीं कर सकते। उन्होंने इस पद पर बने रहने में दिलचस्पी दिखाई थी।"