ओबीसी आरक्षण: उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले से बाहर जाकर कदम उठाने की कोशिश पर कड़ा संज्ञान लिया

By भाषा | Updated: December 13, 2021 20:14 IST2021-12-13T20:14:37+5:302021-12-13T20:14:37+5:30

OBC Reservation: Supreme Court takes strong cognizance of trying to step out of its verdict | ओबीसी आरक्षण: उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले से बाहर जाकर कदम उठाने की कोशिश पर कड़ा संज्ञान लिया

ओबीसी आरक्षण: उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले से बाहर जाकर कदम उठाने की कोशिश पर कड़ा संज्ञान लिया

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र में एक पंचायत समिति के अध्यक्ष का पद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग के लिए आरक्षित करने संबंधी चुनाव प्रक्रिया को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह निश्चित ही इस साल की शुरुआत में दिए गए उसके फैसले से ‘‘स्पष्ट रूप से बाहर जाने’’ की कोशिश है।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, “हमें अब हस्तक्षेप करना होगा। यह उच्चतम न्यायालय के फैसले से बाहर निकलने की कोशिश की जा रही है।”

पीठ ने इस मामले में संबंधित जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है। पीठ से पूछा है कि शीर्ष अदालत के तीन न्यायाधीशों की पीठ के "स्पष्ट निर्णय" के बावजूद पंचायत समिति में रिक्ति को भरने के लिए ओबीसी वर्ग के वास्ते इसे आरक्षित कर चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो ओबीसी श्रेणी के लिए पंचायत समिति का अध्यक्ष पद आरक्षित करने वाले संबंधित प्राधिकरण के फैसले को लेकर दायर याचिका पर पारित किया गया था।

पीठ ने याचिका पर महाराष्ट्र राज्य सहित प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किये और इसे पांच जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

इसमें कहा गया है कि पंचायत समिति के मौजूदा अध्यक्ष ग्राम पंचायत के संबंध में नीतिगत निर्णय लेने में शामिल नहीं होंगे।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत के पहले के फैसले का हवाला दिया और कहा कि अध्यक्ष का पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अगर ऐसा हो रहा है तो उसे अवमानना ​​नोटिस जारी करना होगा।

शीर्ष अदालत ने दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए छह दिसंबर को महाराष्ट्र में ओबीसी के लिए आरक्षित 27 फीसदी सीट पर स्थानीय निकाय चुनाव पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि अन्य सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी।

इसने पिछले हफ्ते दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया था। इनमे से एक याचिका में संबंधित स्थानीय निकायों में पूरे महाराष्ट्र में पिछड़ा वर्ग श्रेणी के लिए समान रूप से 27 प्रतिशत तक आरक्षण की अनुमति देने वाले अध्यादेश के माध्यम से प्रावधानों को शामिल/संशोधित किए जाने का मुद्दा उठाया गया था।

महाराष्ट्र की ओर से पेश वकील ने कहा था कि अध्यादेश में प्रावधान शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप हैं और यह केवल पिछड़ा वर्ग श्रेणी को 27 प्रतिशत तक आरक्षण प्रदान कर रहा है।

इस साल मार्च में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि महाराष्ट्र में संबंधित स्थानीय निकायों में ओबीसी के पक्ष में आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षित कुल सीट के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।

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Web Title: OBC Reservation: Supreme Court takes strong cognizance of trying to step out of its verdict

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