बौरों की बहार से मुस्कुराई आमों की भारी-भरकम मलिका "नूरजहां"

By भाषा | Published: March 14, 2021 01:20 PM2021-03-14T13:20:10+5:302021-03-14T13:20:10+5:30

"Nur Jahan" smiled with mangoes and a large malika of mango | बौरों की बहार से मुस्कुराई आमों की भारी-भरकम मलिका "नूरजहां"

बौरों की बहार से मुस्कुराई आमों की भारी-भरकम मलिका "नूरजहां"

(हर्षवर्धन प्रकाश)

इंदौर (मध्यप्रदेश), 14 मार्च अपने भारी-भरकम फलों के चलते "आमों की मलिका" के रूप में मशहूर "नूरजहां" के पेड़ों पर आबो-हवा के उतार-चढ़ाव के चलते पिछले साल बौर (आम के फूल) नहीं आए थे। लेकिन आम की इस दुर्लभ किस्म के मुरीदों के लिए खुशखबरी है कि मौजूदा मौसम में इसके पेड़ों पर बौरों की बहार है और इसकी अच्छी फसल की उम्मीद की जा रही है।

अफगानिस्तानी मूल की मानी जाने वाली आम प्रजाति नूरजहां के गिने-चुने पेड़ मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में पाये जाते हैं। यह इलाका गुजरात से सटा है।

इंदौर से करीब 250 किलोमीटर दूर कट्ठीवाड़ा में इस प्रजाति की बागवानी के विशेषज्ञ इशाक मंसूरी ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "इस बार नूरजहां के पेड़ों पर खूब बौर आए हैं जो फल बनने की प्रक्रिया में हैं। मौसम की मेहरबानी बनी रही, तो इसकी फसल अच्छी होगी।"

मंसूरी ने बताया कि वर्ष 2020 में नूरजहां के पेड़ों पर बौर नहीं आए थे जिससे शौकीनों को इस आम के खास स्वाद से वंचित रहना पड़ा था।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में नूरजहां के फलों का वजन औसतन 2.75 किलोग्राम के आस-पास रहा था। तब शौकीनों ने इसके केवल एक फल के बदले 1,200 रुपये तक की ऊंची कीमत चुकाई थी।

बहरहाल, मंसूरी की यह बात चौंकाने वाली है कि किसी जमाने में नूरजहां के फलों का औसत वजन 3.5 से 3.75 किलोग्राम के बीच होता था।

उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान ठण्ड तथा बारिश के असामान्य हालात और आबो-हवा के अन्य उतार-चढ़ावों के कारण नूरजहां के फलों का वजन पहले के मुकाबले घटता गया है।

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण आम की इस दुर्लभ किस्म के वजूद पर संकट भी मंडरा रहा है और इसकी नयी पौध बड़ी मुश्किल से पनप कर बड़ी हो पाती है।

कट्ठीवाड़ा के अग्रणी नूरजहां उत्पादक शिवराज सिंह जाधव ने बताया, "नूरजहां आम के स्वाद को आने वाली पीढ़ियों के लिए जिंदा रखने को मैंने करीब डेढ़ साल पहले इसकी 35 नयी पौध लगाई थीं। इनमें से केवल दो पौध कामयाब रही हैं।"

जाधव ने बताया कि फिलहाल कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में नूरजहां के कुल 10 पेड़ हैं जिनमें से पांच वृक्ष उनके बाग में हैं।

जानकारों के मुताबिक नूरजहां के पेड़ों पर आमतौर पर जनवरी-फरवरी से बौर आने शुरू होते हैं और इसके फल मई-जून तक पककर बिक्री के लिए तैयार होते हैं। नूरजहां के फल तकरीबन एक फुट तक लम्बे हो सकते हैं। इनकी गुठली का वजन 150 से 200 ग्राम के बीच होता है।

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Web Title: "Nur Jahan" smiled with mangoes and a large malika of mango

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