इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, सरकार के रोहिंग्या शरणार्थियों को EWS फ्लैट में शिफ्ट करने के फैसले पर नूपुर शर्मा और फिल्ममेकर ने जताई नाराजगी
By अनिल शर्मा | Published: August 17, 2022 02:31 PM2022-08-17T14:31:32+5:302022-08-17T14:48:01+5:30
केंद्र के इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ''भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
नई दिल्लीः फिल्ममेकर अशोक पंडित और भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने केंद्र सरकार के रोहिंग्या शरणार्थियों को EWS फ्लैट में शिफ्ट करने के फैसले पर नाराजगी जताई है। अशोक पंडित ने जहां इसके लिए सरकार को आगाह किया तो वहीं नूपुर शर्मा ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन 1951 के हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं और इसके लिए बाध्य नहीं हैं।
केंद्र के इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ''भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उन्हें मूलभूत सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और चौबीसों घंटे @DelhiPolice सुरक्षा प्रदान की जाएगी।''
इस खबर को रीट्वीट करते हुए अशोक पंडित ने सरकार को आगाह करते हुए लिखा कि भारत को इसका खामियाजा बाद में भुगतना पड़ेगा। अशोक पंडित ने ट्वीट में लिखा- सर यह एक भूल है। इसका खामियाजा भारत को बाद में भुगतना पड़ेगा। हम उन्हें किससे बचा रहे हैं? #कश्मीरी पंडित जो अपने ही देश में शरणार्थी हैं, जम्मू में आज भी दयनीय स्थिति में हैं। कृपया कश्मीर में जगती और कश्मीरी पंडितों की कॉलोनियों में जाएं। दुखद।
Sir Its a blunder .
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) August 17, 2022
India will face its consequences later .
We are protecting them from whom ?#KashmiriPandits who are refugees in their own country are still in a pathetic condition in #Jammu.
Please visit #Jagti & colonies of #KashmiriPandits in #Kashmir .
Sad . https://t.co/FBcevOzGDk
वहीं नूपुर शर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा- भारत बाध्य नहीं है। हम संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन 1951 के हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं। भारत के लिए अच्छा होगा कि केवल सीएए को सही ठहराने के लिए, वह ऐसे तत्वों के साथ एक खतरनाक रास्ते पर न जाए जो महत्वपूर्ण सुरक्षा खतरा पैदा करते हैं। जहां वैश्विक गिरोह नहीं चाहता था कि हिंदू अपने प्राकृतिक घर में लौट आएं।
India is not obligated. We are not signatories to UN Refugee Convention 1951. India would do well to not go down a dangerous path with elements that pose significant security threat just to justify CAA, where the global cabal didn’t want Hindus to return to their natural home https://t.co/mW05C6vB2S
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) August 17, 2022
रिपोर्ट के मुताबिक, टेंटों में रहने वाले लगभग 1,100 रोहिंग्याओं को जल्द ही बुनियादी सुविधाओं और चौबीसों घंटे सुरक्षा से लैस फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। जुलाई के अंतिम सप्ताह के दौरान हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया था कि दिल्ली सरकार मदनपुर खादर इलाके में रोहिंग्याओं के शिविर में आग लगने की घटना के बाद टेंट के लिए लगभग 7 लाख रुपये प्रति माह का किराया वहन कर रही है। इन शरणार्थियों को जल्द ही बाहरी दिल्ली के बक्करवाला गांव में नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) के फ्लैटों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। आर्थिक कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी से संबंधित कुल 250 फ्लैट हैं जहां सभी 1,100 रोहिंग्या अभी मदनपुर में रह रहे हैं।