भारत में पुरुष कामगारों की संख्या में 1993 के बाद पहली बार आई कमी, NSSO रिपोर्ट के आंकड़े आये सामने

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 20, 2019 11:15 AM2019-03-20T11:15:20+5:302019-03-20T11:15:20+5:30

रिपोर्ट के अनुसार साल 1993-94 के बाद कामगार पुरुषों की संख्या में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही ये भी पता चलता है कि पांच साल पहले के मुकाबले 2017-18 में कम पुरुषों को नौकरी मिली।

nsso labour report says national male workforce shrinking modi govt buried | भारत में पुरुष कामगारों की संख्या में 1993 के बाद पहली बार आई कमी, NSSO रिपोर्ट के आंकड़े आये सामने

भारत में पुरुष कामगारों की संख्या में 1993 के बाद पहली बार आई कमी, NSSO रिपोर्ट के आंकड़े आये सामने

भारत में 1993-94 के बाद पहली बार नौकरीपेशा पुरुषों या कहें कि काम करने वाले पुरुषों की संख्या में कमी आई है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक साल-2017-18 के NSSO के पिरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (Periodic Labour Force Survey) के आंकड़े बताते हैं कि देश में फिलहाल 28.6 करोड़ पुरुष कामगार हैं। आंकड़ों के मुताबिक साल 1993-94 में 21.9 करोड़ कामगार पुरुष देश में थे और 2011-12 में NSSO के आखिरी सर्व तक ये संख्या बढ़कर 30.4 करोड़ जा पहुंची।

ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार साल 1993-94 के बाद कामगार पुरुषों की संख्या में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही ये भी पता चलता है कि पांच साल पहले के मुकाबले 2017-18 में कम पुरुषों को नौकरी मिली। पुरुष कामगारों की संख्या में यह गिरावट शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में दर्ज की गई है। ग्रामीण इलाकों में जहां यह गिरावट 6.4 फीसदी की रही है वहीं, शहरों में यह 4.7 प्रतिशत है।

वैसे, सरकार की ओर से अभी तक यह आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। गौर करने वाली बात ये भी है कि शहरों में बेरोजगाजी दर 7.1 प्रतिशत और गांवों में 5.8 प्रतिशत रही। अखबार के अनुसार विशेषज्ञों ने नाम न लेने की शर्त पर कहा है कि इस आंकड़े का और अध्ययन किया जाना जरूरी है लेकिन इससे साफ पता चलता है कि नौकरियों में कमी आई है और रोजगार के कम मौके पैदा हुए हैं।

NSSO की यह रिपोर्ट जुलाई-2017 से जून- 2018 के बीच के आंकड़ों पर आधारित है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग से दिसंबर-2018 में मंजूर एक रिपोर्ट को सरकार द्वारा रोके जाने के बाद आयोग के कार्यकारी चेयरपर्सन रहे पीसी मोहनान और एक अन्य सदस्य जेवी मीनाक्षी ने इस साल जनवरी के आखिर में इस्तीफा दे दिया था।

NSSO के आंकड़े बताते हैं कि देश के ग्रामीण इलाकों में 4.3 करोड़ रोजगार 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच खत्म हुए हैं। वहीं, शहरी क्षेत्रों में करीब 40 लाख रोजगार कम हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में रोजगार कम होने का खामियाजा सबसे ज्यादा महिलाओं को भुगतना पड़ा है। कुल मिलाकर 2011 से 2012 के बीच भारत में कामगारों की संख्या में 4.7 करोड़ की कमी आई है जो सऊदी अरब की जनसंख्या से भी अधिक है।

वैसे, 2017-18 की तरह NSSO के सर्वे में 2011-12 में भी ग्रामीण भारत में महिलाओं में रोजगार में भारी कमी दर्ज की गई थी। तब यह माना गया था कि पुरुषों के रोजगार में वृद्धि के कारण यह कमी आई। साल 2004-05 से 2011-12 के बीच ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के रोजगार में 2 करोड़ की कमी आई। इस दौर में वैसे ग्रामीण इलाकों में पुरुषों के रोजगार में 1.3 करोड़ की वृद्धि हुई। 

Web Title: nsso labour report says national male workforce shrinking modi govt buried

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