अगर नहीं हुई है शादी की उम्र तो लिव इन में रह सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 6, 2018 12:13 PM2018-05-06T12:13:51+5:302018-05-06T12:14:54+5:30
सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी युवक की उम्र शादी लायक यानि 21 साल नहीं हुई है और उसकी शादी कर दी गई है तो वह अपनी पत्नी के साथ लिव इन में रह सकता है।
नई दिल्ली, 6 मई। सुप्रीम कोर्ट ने शादी और लिव इन रिलेशनशिप के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए लिव इन रिलेशनशिप को वैध मानते हुए हुए कहा है कि शादी के बाद भी पति या पत्नी दोनों में से किसी की उम्र अगर शादी के लायक नहीं है तो वे लिव इन रिलेशनशिप में साथ रह सकते हैं। इससे उनकी शादी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी युवक की उम्र शादी लायक यानि 21 साल नहीं हुई है और उसकी शादी कर दी गई है तो वह अपनी पत्नी के साथ लिव इन में रह सकता है।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह लड़के और लड़की पर निर्भर है कि जब उनकी उम्र शादी योग्य हो जाती है तो वे फिर से शादी करें या ऐसे ही इस रिश्ते को निभाना चाहेंगे। जीवनसाथी चुनने का अधिकार युवक-युवती से कोई नहीं छीन सकता, चाहे फिर वह कोर्ट हो, कोई संस्था या संगठन ही क्यों न हो।
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत का काम है कि वह निष्पक्ष निर्णय ले न कि एक मां की तरह भावनाओं में बहे और न ही एक पिता की तरह अंहकारी बने।
क्या है मामला
अप्रैल 2017 को केरल की एक 19 वर्षीय युवती की शादी 20 साल के युवक के साथ हुई। शादी योग्य होने में लड़के की उम्र एक साल कम थी। इस पर लड़की के पिता ने दूल्हे पर अपहरण का केस दर्ज करवा दिया। केस केरल हाईकोर्ट पहुंचा तो अदालत ने शादी को रद्द करते हुए लड़की को वापिस पिता के पास भेज दिया।
वर पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पीड़ित पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन पर अहम फैसला सुनाया और केरल हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों की शादी हिंदू धर्म के मुताबिक हुई है इसलिए इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में लिव इन ही इसका विकल्प है।