भरतनाट्यम नृत्यांगना को 'कोई धर्म न' होने की वजह से केरल के मन्दिर में नृत्य की नहीं मिली अनुमति, बोर्ड ने कहा- केवल हिन्दू कर सकते हैं प्रदर्शन

By विशाल कुमार | Published: March 29, 2022 12:13 PM2022-03-29T12:13:52+5:302022-03-29T12:21:15+5:30

नृत्यांगना मानसिया वीपी, भरतनाट्यम में एक पीएचडी शोधर्थी हैं और एक मुस्लिम के रूप में जन्म लेने के बावजूद शास्त्रीय नृत्य करने के लिए इस्लामिक मौलवियों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा था।

non hindu-bharatanatyam-dancer-barred-from-performing-in-temple | भरतनाट्यम नृत्यांगना को 'कोई धर्म न' होने की वजह से केरल के मन्दिर में नृत्य की नहीं मिली अनुमति, बोर्ड ने कहा- केवल हिन्दू कर सकते हैं प्रदर्शन

भरतनाट्यम नृत्यांगना को 'कोई धर्म न' होने की वजह से केरल के मन्दिर में नृत्य की नहीं मिली अनुमति, बोर्ड ने कहा- केवल हिन्दू कर सकते हैं प्रदर्शन

Highlightsमानसिया वीपी भरतनाट्यम में एक पीएचडी शोधर्थी हैं।मुस्लिम परिवार में जन्मी मानसिया का कोई धर्म नहीं है।मानसिया का विवाह एक संगीत कलाकार श्याम कल्याण के साथ हुआ है।

तिरुवनंतपुरम: भरतनाट्यम नृत्यांगना मानसिया वीपी ने आरोप लगाया है कि केरल के त्रिशूर जिले के इरिंजालकुडा में कूडलमानिक्यम मंदिर ने उनके गैर हिंदू होने के कारण अपने परिसर में एक पूर्व निर्धारित नृत्य कार्यक्रम करने से रोक दिया। यह मंदिर राज्य सरकार के नियंत्रण वाले देवस्वम बोर्ड के अधीन आता है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मानसिया, भरतनाट्यम में एक पीएचडी शोधर्थी हैं और एक मुस्लिम के रूप में जन्म लेने और पले-बढ़े होने के बावजूद शास्त्रीय नृत्य करने के लिए इस्लामिक मौलवियों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा था।

अपने फेसबुक पोस्ट में मानसिया ने लिखा कि उनका नृत्य कार्यक्रम 21 अप्रैल को मंदिर परिसर में होना निर्धारित था। 

मानसिया के अनुसार, हालांकि मंदिर के एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि गैर हिंदू होने के कारण वह मंदिर के नृत्य कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकती हैं। किसी के अच्छे नृतक होने या न होने पर विचार नहीं करते हुए सभी मंच धर्म के आधार पर दिए गए हैं।

मानसिया ने आगे कहा कि इस दौरान मुझे इन सवालों का भी सामना करना पड़ा कि क्या मैंने एक हिंदू से शादी करने के बाद अपना धर्म परिवर्तन कराया है। मेरा कोई धर्म नहीं है और अब मैं कहां जाऊं। मानसिया का विवाह एक संगीत कलाकार श्याम कल्याण के साथ हुआ है।

उन्होंने कहा कि धर्म पर आधारित किसी कार्यक्रम से उन्हें पहली बार बहिष्कार का सामना नहीं करना पड़ा है। इससे कुछ साल पहले उन्हें गैर-हिंदू होने के कारण गुरुवायूर के गुरुवयूर श्री कृष्ण मंदिर में प्रदर्शन करने से कथित तौर पर प्रतिबंधित कर दिया गया था।

उन्होंने कहा कि कला और कलाकारों को आज भी धर्म और जाति से बांधा जा रहा है। जब यह एक धर्म के लिए मना किया जाता है, तो यह दूसरे धर्म का एकाधिकार बन जाता है। यह अनुभव मेरे लिए नया नहीं है। मैं इसे यहां (फेसबुक पर) केवल यह याद दिलाने के लिए दर्ज करा रही हूं कि हमारे धर्मनिरपेक्ष केरल में कुछ भी नहीं बदला है।

संपर्क किए जाने पर कूडलमनिक्यम देवस्वम (मंदिर) बोर्ड के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने कहा कि मंदिर की मौजूदा परंपरा के अनुसार, केवल हिंदू ही मंदिर के परिसर में प्रदर्शन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यह मंदिर परिसर 12 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। 10 दिनों तक चलने वाला यह महोत्सव मंदिर परिसर में होगा। महोत्सव के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में लगभग 800 कलाकार प्रस्तुति देंगे। हमारे मानदंडों के अनुसार, हमें कलाकारों से पूछना होगा कि वे हिंदू हैं या गैर-हिंदू। मानसिया ने लिखित में दिया था कि उनका कोई धर्म नहीं है। इसलिए, उन्हें कार्यक्रम से हटा दिया गया था। हम मंदिर की मौजूदा परंपराओं का पालन कर रहे हैं।

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