"लोकतंत्र हमारे डीएनए में है, जाति, धर्म और लिंग के भेदभाव का सवाल नहीं", प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 23, 2023 07:30 AM2023-06-23T07:30:05+5:302023-06-23T07:37:15+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार ने लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाया है और उसी आधार पर हमारा संविधान बना है और पूरा देश उसी पर चलता है।
वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन की मौजूदगी में कहा कि लोकतंत्र हमारे डीएनए में है और जाति, धर्म और लिंग की परवाह किए बिना हम लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थक हैं। इसलिए भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है। पीएम मोदी बीते गुरुवार को यह बात एक अमेरिकी पत्रकार के उस सवाल का जवाब में कही, जिसमें उसने पूछा था कि भारत में मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने के लिए कौन-कौन से कदम उठाने को तैयार है।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में राष्ट्रपति बाइडेन और पीएम मोदी ने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिये। जहां एक पत्रकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से पूछा कि उन्होंने अमेरिका दैरे पर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दों को बारे में क्या बात की, तो उसके जवाब में बाइडन ने कहा, "प्रधानमंत्री और मेरे बीच लोकतांत्रिक मूल्यों के विषय में अच्छी चर्चा हुई और यह हमारे रिश्ते का सबसे अच्छा हिस्सा है। हम एक-दूसरे के प्रति ईमानदार हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। मेरा मानना है कि हम प्रत्येक नागरिक की गरिमा में विश्वास करते हैं और यह अमेरिका के डीएनए में है और मेरा मानना है कि यह भारत के डीएनए में भी है।"
सवाल-जवाब के स दौर में अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक पत्रकार ने पीएम मोदी से पूछा कि भारत लंबे समय से खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताता रहा है, लेकिन कई मानवाधिकार समूह हैं, जो कहते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव किया है और अपने आलोचकों को चुप करा दिया है।
पीएम मोदी से सवाल पूछ रहे पत्रकार ने आगे कहा, "जैसा कि आप यहां व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में खड़े हैं, जहां विश्व के कई नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धताएं जताई हैं। ऐसे में आप और आपकी सरकार अपने देश में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार के लिए कौन-कौन से कदम उठाने के लिए तैयार हैं कि फ्री स्पीच जारी रखी जा सके।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सवाल के जवाब में में कहा, “वास्तव में भारत एक लोकतंत्र है और जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने भी कहा कि दोनों देशों भारत और अमेरिका के डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र हमारी आत्मा है। लोकतंत्र हमारी रगों में दौड़ता है। हम लोकतंत्र जीते हैं और वास्तव में हमारे पूर्वजों ने संविधान के रूप में लोकतंत्र की अवधारणा को शब्द दिए हैं। हमारी सरकार ने लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाया है और उसी आधार पर हमारा संविधान बना है और पूरा देश उसी पर चलता है। हमने हमेशा साबित किया है कि लोकतंत्र परिणाम दे सकता है और जब मैं कहता हूं उद्धार करो तो यह जाति, पंथ, धर्म, लिंग की परवाह किए बिना है। हमारे लिए भेदभाव के लिए बिल्कुल कोई जगह नहीं है।"
पीएम मोदी ने अपनी बात में आगे कहा, “...और जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं और यदि उसमें कोई मानवीय मूल्य नहीं हैं, कोई मानवता नहीं है, कोई मानवाधिकार नहीं है तो वह लोकतंत्र नहीं है। इसीलिए जब आप लोकतंत्र कहते हैं और लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं तो भेदभाव का सवाल ही नहीं उठता और यही कारण है कि भारत 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के साथ आगे बढ़ने में विश्वास करता है। यही हमारा बुनियादी सिद्धांत हैं, जो इस बात का आधार हैं कि हम कैसे काम करते हैं और भारत में अपना जीवन जीते हैं।"
उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा प्रदान किए गए लाभ उन सभी के लिए उपलब्ध हैं, जो इसके हकदार हैं। सरकारी लाभ सभी के लिए उपलब्ध हैं और इसीलिए भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में न ही जाति, धर्म, उम्र या किसी भी प्रकार के भौगोलिक स्थान के आधार पर किसी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं है।”
इसके साथ ही जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ सदस्यों सहित उन लोगों के लिए उनके संदेश के बारे में पूछा गया, जो कहते हैं कि बाइडन प्रशासन प्रधानमंत्री मोदी के देश भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और असहमति पर रोक लगाने की अनदेखी कर रहा है तो राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और मेरे बीच लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में अच्छी चर्चा हुई है और यह हमारे रिश्ते का सबसे अच्छा हिस्सा है। हम एक-दूसरे के प्रति ईमानदार हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।"
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि अमेरिका-चीन संबंध अमेरिका-भारत संबंधों के समान नहीं है और इसका एक बुनियादी कारण यह है कि दोनों देशों का एक-दूसरे के लिए अत्यधिक सम्मान क्योंकि हम दोनों लोकतांत्रिक देश हैं और इसका एक सामान्य लोकतांत्रिक चरित्र है। हमारे लोग, हमारी विविधता, संस्कृति, हमारी खुली सोच, सहिष्णु, मजबूत बहस से हम मजबूत होते हैं और मेरा मानना है कि हम हर नागरिक की गरिमा में विश्वास करते हैं और यह अमेरिका के डीएनए में है और मैं भारत के डीएनए में ऐसे ही लोकतंत्र का विश्वास करता हूं। हमारी सफलता में पूरी दुनिया की हिस्सेदारी है।"