प्रवासी मजदूर संकट: राज्यों के बिना सहमति के भी रेलवे चलाएगा श्रमिक स्पेशल ट्रेन
By निखिल वर्मा | Published: May 19, 2020 03:43 PM2020-05-19T15:43:07+5:302020-05-19T15:51:33+5:30
रेलवे के प्रवक्ता राजेश वाजपेई ने कहा है कि गृह मंत्रालय के नए दिशा-निर्देश के बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए राज्यों की सहमति अनिवार्य नहीं रह गई है.
कई राज्यों के श्रमिक विशेष ट्रेनों को चलाने की अनुमति नहीं देने के बीच रेलवे का कहना है कि ट्रेनों के संचालन के लिए संबंधित राज्यों की अनुमति की जरूरत नहीं है। 16 मई को केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि रेलवे देश के किसी भी जिले से श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाने के लिये तैयार है। गोयल बीते कुछ दिनों से राज्य सरकारों से प्रवासियों को उनके घर ले जाने वाली ट्रेनों को मंजूरी देने की अपील कर रहे हैं। यह अपील विशेषकर झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से की गई है।
30 जून तक रेलवे की नियमित सेवा पर रोक
भारतीय रेलवे ने बताया है कि लॉकडाउन के चौथे चरण के दौरान श्रमिक स्पेशल, अन्य विशेष रेलगाड़ियों, पार्सल सेवाएं और मालगाड़ियों का ही परिचालन होगा। सरकार ने चाथे चरण में लाकडाउन को 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया है। भारतीय रेल ने अपनी सभी नियमित यात्री गाड़ियों के परिचालन पर 30 जून तक रोक लगा दी है। रेलवे ने कहा कि रेल परिचालन के संबंध में लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान जारी किए गए दिशानिर्देश यथावत लागू रहेंगे।तीसरा चारण रविवार 17 मई तक के लिए घोषित किया गया था। देश में 25 मार्च से जारी लॉकडाउन के सभी चरणों के दौरान पार्सल सेवा और मालगाड़ियों का संचालन होता रहा।
वहीं प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य तक ले जाने के लिए रेलवे ने एक मई से श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियां चलाना शुरू की। वहीं आम लोगों के लिए राजधानी एक्सप्रेस के मार्ग पर निश्चित दिशानिर्देशों के तहत 15 जोड़ी रेलगाड़ियों का संचालन कर रहा है। भारतीय रेल के प्रवक्ता आर.डी. वाजपेयी ने कहा, ‘‘ रेल परिचालन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह लॉकडाउन के तीसरे चरण के अनुरूप ही रहेगा। श्रमिक स्पेशल और 15 जोड़ी अन्य विशेष रेल चलती रहेंगी। वहीं पार्सल सेवा और मालगाड़ी भी चालू रहेगी।’’